महाकुंभ में शाही स्नान के बाद दो माह वृक्ष पर प्रवास करेंगे देवता

बलवीर भंडारी कालसी हरिद्धार के महाकुंभ और हरिपुर के यमुना में शाही स्नान के बाद शिलगुर देवता पंजिया स्थित दशकों पुराने वृक्ष पर दो माह तक प्रवास पर रहेंगे।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 16 Apr 2021 01:07 AM (IST) Updated:Fri, 16 Apr 2021 01:07 AM (IST)
महाकुंभ में शाही स्नान के बाद दो माह वृक्ष पर प्रवास करेंगे देवता
महाकुंभ में शाही स्नान के बाद दो माह वृक्ष पर प्रवास करेंगे देवता

बलवीर भंडारी, कालसी:

हरिद्धार के महाकुंभ और हरिपुर के यमुना में शाही स्नान के बाद शिलगुर-विजट महाराज पंजिया मंदिर के पास स्थित दशकों पुराने हरे वृक्ष पर प्रवास करेंगे। यहां देवता की परंपरागत तरीके से दो माह तक पूजा की जाएगी। वृक्ष में प्रवास की अवधि पूरी होने के बाद देवता को अंतिम शाही स्नान के लिए हिमाचल के चूड़धार मंदिर ले जाने की परपंरा है। चूड़धार से लौटने के बाद पंजिया मंदिर में जागरा मेले का आयोजन होगा। इसके बाद देवता वापस पंजिया मंदिर के गर्भगृह में विराजमान होंगे। देवता के शाही स्नान और प्रवास का यह संयोग 12 साल में एक बार ही बनता है, जिसको लेकर श्रद्धालुओं में अटूट आस्था है।

जौनसार के कालसी प्रखंड से जुड़े खत बाना के पंजिया गांव स्थित शिलगुर-विजट महाराज की देव परंपरा अनूठी है। कालसी-साहिया मार्ग से सटे पंजिया गांव में शिलगुर-विजट महाराज का प्राचीन मंदिर है, जिसे दुधौऊ, बनसार, पंजिया, लुंवाठा, अमराया, चापनू समेत आसपास गांव के सैकड़ों लोग कुल देवता के रूप में पीढ़ी-दर-पीढ़ी पूजते चले आ रहे हैं। लोक परंपरा के अनुसार 12 साल में एक बार देवता की डोली को मंदिर के गर्भगृह से गाजे-बाजे के साथ बाहर निकला जाता है। इस बार हरिद्धार महाकुंभ में शाही स्नान के लिए शिलगुर-विजट महाराज की देव डोली 12 अप्रैल को मंदिर के गर्भगृह से बाहर निकली। बैशाखी की संक्रांति में 13 अप्रैल को पतित पावनी मां गंगा के हरिद्धार की हरकी पैड़ी में शाही स्नान कराया गया। इसके बाद देव डोली करीब डेढ़ सौ पदयात्रियों के साथ दूसरे शाही स्नान के लिए हरिपुर के यमुना में पहुंची। बाड़वाला के पास हरिपुर के यमुना तट में देवता के शाही स्नान करने से देव डोली रात्रि प्रवास को चापनू गांव पहुंची। यहां रात्रि जागरण के बाद देव डोली गाजे-बाजे के साथ बीते बुधवार को पंजिया मंदिर पहुंची। यहीं पर दशकों पुराने हरे वृक्ष में मंदिर स्थापित किया गया। पुजारी संतराम भट्ट, समिति के कोषाध्यक्ष आनंद चौहान, बजीर टीकम सिंह और भंडारी दीवान सिंह ने कहा कि वृक्ष पर देवता की विधि-विधान से पूजा होगी। अषाढ़ मास यानि जून माह में तीसरे शाही स्नान के लिए देवता को चूड़धार मंदिर ले जाया जाएगा। जागड़ा मेला संपन्न होने के बाद देव डोली को वापस मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा। देव पूजन की यह परंपरा सदियों से क्षेत्रवासी पूरी करते आ रहे हैं।

chat bot
आपका साथी