SIIDCUL Scam: चार अधिकारी बदले, फिर भी नहीं बढ़ पाई सिडकुल घोटाले की जांच

सिडकुल घोटाले की जांच एक बार फिर अधर में लटक गई है। शासन की ओर से गढ़वाल रेंज के आइजी की देखरेख में 2018 में एसआइटी बनाई थी। तब से अब तक चार अधिकारी बदल गए हैं लेकिन घोटाले की जांच आगे नहीं बढ़ पाई है।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Fri, 22 Oct 2021 08:33 PM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 08:33 PM (IST)
SIIDCUL Scam: चार अधिकारी बदले, फिर भी नहीं बढ़ पाई सिडकुल घोटाले की जांच
SIIDCUL Scam: चार अधिकारी बदले, फिर भी नहीं बढ़ पाई सिडकुल घोटाले की जांच।

जागरण संवाददाता, देहरादून। उत्तराखंड औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड (सिडकुल) घोटाले की जांच एक बार फिर अधर में लटक गई है। शासन की ओर से गढ़वाल रेंज के आइजी की देखरेख में 2018 में एसआइटी बनाई थी। तब से अब तक चार अधिकारी बदल गए हैं, लेकिन घोटाले की जांच आगे नहीं बढ़ पाई है।

वर्ष 2012 से 2017 के बीच सिडकुल की ओर से विभिन्न जनपदों में निर्माण कार्य कराए गए। नियमों को ताक पर रखकर उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम (यूपीआरएनएन) को ठेके दिए गए। यूपीआरएनएन का आडिट कराए जाने पर काफी अनियमितता और सरकारी धन के दुरुपयोग, वेतन निर्धारण व विभिन्न पदों पर भर्ती में गड़बडिय़ां सामने आई। शासन ने गड़बड़ियों का संज्ञान लेते आइजी गढ़वाल जोन की अध्यक्षता में एसआइटी का गठन किया।

एसआइटी विभिन्न जनपदों में करवाए गए निर्माण कार्यों में बरती गई अनियमितता और सरकारी धन के दुरुपयोग से संबंधित साक्ष्यों को जुटा रही है। जांच में अनियमितता बरतने वाले सिडकुल व यूपीआरएनएन के संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों को चिह्नित करते हुए कार्रवाई करने के लिए निर्देशित किया गया है।

2020 के दौरान आइजी गढ़वाल अभिनव कुमार ने जांच में तेजी लाते हुए घपलेबाजी करने वाले अधिकारियों को चिह्नित करना शुरू किया, लेकिन कुछ समय बाद उनका ट्रांसफर हो गया, जिसके कारण मामला फिर ठंडे बस्ते में चला गया।

नौ महीने से नहीं हुई बैठक

सिडकुल घोटाले की जांच की रफ्तार कितनी सुस्त है, इसका पता इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले नौ महीनों से घोटाले संबंधी जांच हुई ही नहीं। जनवरी महीने में डीआइजी गढ़वाल रेंज रही नीरू गर्ग ने एसआइटी के अधिकारियों की बैठक लेकर जांच फाइल सौंपने के लिए समय निर्धारित किया, लेकिन कई अधिकारियों ने रिपोर्ट ही नहीं दी।

जांच में अब तक यह आया सामने

-अधिकारियों ने निर्माण कार्यों का ठेका उत्तराखंड की स्थानीय संस्थाओं को न देकर मानकों के विपरीत अन्य कार्यदायी संस्थाओं को दे दिया।

-अधिकारियों ने ब्लैक लिस्ट कंपनियों को ठेका देकर नियमों का उल्लंघन किया।

-कई अधिकारियों ने तो निर्माण कार्यों के दस्तावेज ही गायब कर दिए।

-जिन कंपनियों ने कार्य में देरी की उनसे विलंब शुल्क नहीं लिया गया।

-कई कार्यों के मेसरमेंट बुक ही गायब मिली।

इन जनपदों में हुए काम

जिला--------------निर्माण कार्य

उधमसिंह नगर-----127

हरिद्वार------------24

देहरादून-----------62

पौड़ी गढ़वाल-------12

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