नवमी आज, एक कन्या में देखें नौ देवियों का प्रतिबिंब; जानिए क्या है कंजक पूजन का शुभ मुहूर्य
नवरात्र के नौवें दिन यानी आज घरों में मां दुर्गा की नौंवीं शक्ति सिद्धिदात्री की आराधना होगी। वहीं भक्त सुबह 1102 से दोपहर 0138 बजे तक शुभ मुहूर्त में कंजक पूजा कर सकते हैं। पंडितों ने कन्याओं के नाम की किताबें व प्रसाद घर पर पहुंचाने की अपील की है।
जागरण संवाददाता, देहरादून: नवरात्र के नौवें दिन यानी आज घरों में मां दुर्गा की नौंवीं शक्ति सिद्धिदात्री की आराधना होगी। वहीं भक्त सुबह 11:02 से दोपहर 01:38 बजे तक शुभ मुहूर्त में कंजक पूजा कर सकते हैं। पंडितों ने कन्याओं को खाने पर बुलाने के बजाए उनके नाम की किताबें व प्रसाद घर पर पहुंचाने की अपील की है। कहा कि घर में यदि एक कन्या है तो उसे नौ देवियों का रूप मानते हुए पूजा करें। वहीं, मंगलवार को महागौरी की आधारना करने के साथ भक्तों ने घरों पर ही पूजा की।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सही मुहूर्त में कन्या पूजन करने से उनके व्रत का फल मिलता है। आचार्य डॉ सुशांत राज के मुताबिक कोरोना संक्रमण की वर्तमान स्थिति को देखते हुए यदि घर में एक ही कन्या है तो उसे नौ देवियों के प्रतिबिंब मानते हुए पूजा करें। ऐसा करने से भी नौ कन्याओं के बराबर पूजा माना जाता है। नवमी तिथि 20 अप्रैल की मध्य रात्रि को 12 बजकर 43 मिनट से शुरु हो चुकी है। बुधवार को सुबह 11 बजकर 02 मिनट से दोपहर एक बजकर 38 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त है। वहीं, अष्टमी पर भी भक्तों ने कंजक पूजन किया। कोरोना संक्रमण के चलते अधिकांश भक्तों ने घर पर मां दुर्गा के आठवें रूप की पूजा कर हवन किया। इसके बाद कन्याओं का प्रसाद उनके घर पर पहुंचाया।
नवमी के दिन कैसे करें कन्या पूजन
-सुबह उठकर स्नान के बाद पहले भगवान गणेश और फिर सिद्धिदात्री की पूजा करें।
- कन्या पूजन के लिए दो साल से लेकर 10 साल तक की कन्या के बैठने के लिए आसन देकर उनके पैर धोएं।
- उन्हें रोली, कुमकुम और अक्षत का टीका लगाकर उनके हाथ में मौली बाधें। प्रसाद के बाद कन्याओं को यथाशक्ति भेंट और उपहार देकर उनके पैर छूकर उन्हें विदा करें।
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घरों,मंदिरों में भगवान राम की आराधना कर मनेगी रामनवमी
देहरादून: कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच चैत्र मास में शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि यानी रामनवमी सादगी से मनाई जाएगी। लोग घरों व मंदिरों में भगवान राम की आराधना करेंगे।
सनातन धर्म में इस तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। भगवान राम श्री हरि विष्णु का सातवां अवतार थे। विष्णु ने अधर्म के नाश और धर्म की स्थापना के लिए राजा दशरथ के यहां पुत्र रूप में जन्म लिया था। जिस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था, उस दिन चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि थी। यह दिन प्रभु श्री राम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। रामनवमी पर लोग हर्षोल्लास के साथ भगवान राम का जन्मोत्सव मनाते हैं और विधि विधान से पूजा अर्चना करते हैं। हालांकि इस बार कोरोना संक्रमण के चलते विभिन्न धार्मिक संगठनों ने भव्य कार्यक्रम स्थगित कर दिए हैं। घरों व मंदिरों में सादगी के साथ पूजा होगी। आचार्य डॉ सुशांत राज ने बताया कि यह तिथि अत्यंत मंगलकारी और शुभ मानी जाती है। इस दिन व्रत और पूजन करने से जीवन में सुख समृद्धि और शांति का वास होता है।
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