उत्तराखंड में विशेषज्ञ चिकित्सकों के 654 पद खाली, सरकारी अस्पतालों में सिर्फ 43 फीसद ही तैनात

उत्तराखंड के सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की भारी कमी है। राज्य के तमाम अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों के महज 43 फीसद ही पद भरे जा सके हैं। शेष 57 फीसद पद रिक्त हैं। विशेषज्ञ चिकित्सकों के सर्वाधिक 92 फीसद पद देहरादून में भरे गए हैं

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Sun, 25 Jul 2021 08:50 AM (IST) Updated:Sun, 25 Jul 2021 08:50 AM (IST)
उत्तराखंड में विशेषज्ञ चिकित्सकों के 654 पद खाली, सरकारी अस्पतालों में सिर्फ 43 फीसद ही तैनात
उत्तराखंड में विशेषज्ञ चिकित्सकों के 654 पद खाली।

जागरण संवाददाता, देहरादून। उत्तराखंड के सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की भारी कमी है। राज्य के तमाम अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों के महज 43 फीसद ही पद भरे जा सके हैं। शेष 57 फीसद पद रिक्त हैं। विशेषज्ञ चिकित्सकों के सर्वाधिक 92 फीसद पद देहरादून में भरे गए हैं, जबकि टिहरी में यह आंकड़ा महज 13 फीसद है।विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती की स्थिति सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटीज (एसडीसी) फाउंडेशन की ओर से आरटीआइ में मांगी गई जानकारी में सामने आई।

मिली जानकारी के मुताबिक 30 अप्रैल 2021 तक विशेषज्ञ चिकित्सकों के कुल 1147 स्वीकृत पदों में से मात्र 493 ही कार्यरत थे। बाकी 654 पद खाली हैं। देहरादून जिले में सबसे अधिक 92 फीसद विशेषज्ञ चिकित्सक तैनात हैं। वहीं, 63 फीसद चिकित्सकों के साथ रुद्रप्रयाग दूसरे स्थान पर है। टिहरी, चमोली व पौड़ी जिले में स्वीकृत पदों के सापेक्ष क्रमश: 13 फीसद, 27 फीसद व 28 फीसद विशेषज्ञ चिकित्सक ही तैनात हैं।

स्वीकृत पदों के सापेक्ष सिर्फ एक फोरेंसिक विशेषज्ञ

आरटीआइ में मिली सूचना के मुताबिक राज्य में फोरेंसिक विशेषज्ञों के कुल स्वीकृत 25 पदों में से सिर्फ एक फोरेंसिक स्पेशलिस्ट तैनात है। त्वचा रोग के 38 और मनोचिकित्सक के 28 पद स्वीकृत हैं। लेकिन, इन पदों पर भी सिर्फ चार-चार विशेषज्ञ चिकित्सक तैनात हैं। ऐसे वक्त में जब कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर का खतरा मंडरा रहा है।

राज्य में स्वीकृत पदों के सापेक्ष जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ मात्र 14 प्रतिशत और बाल रोग विशेषज्ञ 41 फीसद हैं। बाल रोग विशेषज्ञ के रूप में यह आंकड़ा 41 फीसद है। महिला एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ के पदों पर भी 36 फीसद चिकित्सकों की ही तैनाती है। एसडीसी फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष अनूप नौटियाल कहते हैं कि विशेषज्ञ चिकित्सकों की यह कमी चिंताजनक है। राज्य सरकार से आग्रह है कि वह जल्द से जल्द विशेषज्ञ चिकित्सकों के खाली पदों पर नियुक्तियां करे।

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