उत्तराखंड के सभी जिलों में आपदा प्रभावितों के लिए बनेंगे शेल्टर, एनडीएमए करेगा निर्माण
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण अन्य राज्यों की तर्ज पर उत्तराखंड में भी सभी 13 जिलों में आपदा प्रभावितों के ठहरने के लिए शेल्टर बनाएगा।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण अन्य राज्यों की तर्ज पर उत्तराखंड में भी सभी 13 जिलों में आपदा प्रभावितों के ठहरने के लिए शेल्टर बनाएगा। इस तरह के शेल्टर में तीन से पांच हजार तक लोग ठहराए जा सकते हैं। राज्य सरकार इसके लिए जमीन उपलब्ध कराएगी।
मंगलवार को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल में एनडीएमए के सदस्य राजेंद्र सिंह, संयुक्त सचिव रमेश कुमार और संयुक्त सलाहकार नवल प्रकाश शामिल थे। मुलाकात के दौरान ही एनडीएमए सदस्य राजेंद्र सिंह ने मुख्यमंत्री को शेल्टर निर्माण की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने वर्ष 2024 तक देश को आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में नंबर वन बनाने का लक्ष्य दिया है। इस कड़ी में देश में आपदा मित्र योजना शुरू की गई है। इसमें आपदा मित्रों को 12 से 15 दिन का बचाव और राहत कार्य का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। योजना में देश के 720 जिलों में से 350 जिलों में लगभग एक लाख आपदा मित्र तैयार किए जाएंगे। इसमें उत्तराखंड के दो जिले हरिद्वार एवं ऊधम सिंह नगर शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के तहत बनाई जाने वाली योजनाओं में जंगल की आग जैसी प्राकृतिक आपदा को भी शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि दूरस्थ क्षेत्रों में राहत पहुंचाना भी एक चुनौती है। इसके लिए राज्य सरकार की ओर से युवा मंगल दलों एवं महिला मंगल दलों को आपदा की परिस्थिति में राहत एवं बचाव कार्य के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसमें घायलों को प्राथमिक उपचार देने जैसा प्रशिक्षण भी शामिल हैं। उन्होंने आपदा मित्र के प्रशिक्षण में इसे भी शामिल करने का सुझाव दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं का स्वरूप और प्रभाव मैदानी क्षेत्रों से भिन्न होता है, इसलिए योजना बनाते समय पर्वतीय क्षेत्रों के अनुरूप योजनाओं को भी शामिल किया जाना चाहिए। पर्वतीय क्षेत्रों में अधिकतर मकान मिट्टी एवं पठाल (स्लेटनुमा पत्थर) से बनाए जाते हैं। आपदा की गाइडलाइन के अनुसार ऐसे मकानों को कच्चा कहा जाता है। इससे आपदा से नुकसान पर प्रभावितों को काफी कम आॢथक मदद मिलती है। पर्वतीय क्षेत्रों में इस प्रकार के मकानों को पक्के मकानों की श्रेणी में रखा जाना चाहिए। इस अवसर पर सचिव एसए मुरुगेशन, राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की मुख्य कार्यकारी अधिकारी रिद्धिम अग्रवाल एवं अधिशासी निदेशक पीयूष रौतेला भी मौजूद थे।
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