Sharad Purnima 2021: शरद पूर्णिमा पर आज होगी अमृत वर्षा, जानिए शुभ मुहूर्त और कैसे करें पूजा
Sharad Purnima 2021 शाम सात बजकर पांच मिनट पर बुधवार रात आठ बजे तक पूर्णिमा तिथि रहेगी। श्रद्धालु मंगलवार को व्रत रख मां लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा करेंगे जबकि बुधवार को दान पुण्य कथा करने के लिए शुभ रहेगा।
जागरण संवाददाता, देहरादून। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की शरद पूर्णिमा मंगलवार को मनाई जाएगी। शाम सात बजकर पांच मिनट पर बुधवार रात आठ बजे तक पूर्णिमा तिथि रहेगी। श्रद्धालु मंगलवार को व्रत रख मां लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा करेंगे, जबकि बुधवार को दान पुण्य, कथा करने के लिए शुभ रहेगा। शरद पूर्णिमा की रात सोलह कलाओं से परिपूर्ण चंद्रमा से निकलने वाली किरणें अमृत समान मानी जाती है, ऐसे में शाम सात से रात 12 बजे तक खीर बनाकर बर्तन में खुले आसमान के नीचे रख अगले दिन आस्था के साथ ग्रहण करने का विधान है।
वैसे तो प्रत्येक पूर्णिमा का हिंदू धर्म में महत्व है, लेकिन शरद पूर्णिमा को विशेष मानते हैं। मान्यता है कि इस दिन लक्ष्मी का जन्म हुआ था। आचार्य डा. सुशांत राज के मुताबिक शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी भगवान विष्णु के साथ पृथ्वीलोक में भ्रमण के लिए आती हैं और घर-घर जाकर भक्तों पर कृपा बरसाती हैं। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है। इसे अमृत काल भी कहा जाता है। शरद पूर्णिमा पर चांद अमृत वर्षा करता है।
इस दिन चंद्रमा के पूजन से स्वस्थ व नीरोगी काया प्राप्त होती है। ऐसे में लोग खीर बनाकर बर्तनों में खुली छत पर रखते हैं और अगले दिन प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। वहीं आचार्य बिजेंद्र प्रसाद ममगाईं के अनुसार, इस बार पूर्णिमा दो दिन की है। मंगलवार की तिथि में पूर्ण चंद्रमा के दर्शन होंगे, ऐसे में व्रत इस दिन रखा जाएगा और पूजा भी चंद्रोदय के बाद होगी। जबकि बुधवार को स्नान, दान पुण्य व कथा कर सकते हैं।
इस तरह करें पूजा
सुबह व्रत धारण कर पूजा स्थल पर मां लक्ष्मी की प्रतिमा के समक्ष घी के दीये जलाएं। गंगाजल छिड़कें और अक्षत, रोली का तिलक लगाएं। मां लक्ष्मी को पुष्प अर्पित कर सफेद अथवा पीले रंग के मिष्ठान का भोग लगाएं। शाम को चंद्रोदय में चंद्रमा की पूजा करें। शाम को गाय के दूध से बनी चावल की खीर को छोटे बर्तनों में भरकर चांद की रोशनी में रख दें। अगले दिन सुबह स्नान के बाद इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।
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