उत्तराखंड: शासन में अटकी प्रवर्तन संवर्ग की सेवा नियमावली, पढ़िए पूरी खबर

परिवहन विभाग के प्रवर्तन संवर्ग की सेवा नियमावली को कैबिनेट से पास होने के बाद अभी तक मूर्त रूप नहीं दिया जा सका है। कारण यह नियमावली अभी भी शासन स्तर पर लंबित चल रही है। ऐसे में पदोन्नति के लिए प्रवर्तन सिपाहियों का इंतजार खत्म नहीं हो पा रहा।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Sat, 15 May 2021 04:30 PM (IST) Updated:Sat, 15 May 2021 04:30 PM (IST)
उत्तराखंड: शासन में अटकी प्रवर्तन संवर्ग की सेवा नियमावली, पढ़िए पूरी खबर
उत्तराखंड: शासन में अटकी प्रवर्तन संवर्ग की सेवा नियमावली, पढ़िए पूरी खबर।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। परिवहन विभाग के प्रवर्तन संवर्ग की सेवा नियमावली को कैबिनेट से पास होने के बाद अभी तक मूर्त रूप नहीं दिया जा सका है। कारण यह नियमावली अभी भी शासन स्तर पर लंबित चल रही है। ऐसे में पदोन्नति के लिए प्रवर्तन सिपाहियों का इंतजार खत्म नहीं हो पा रहा है। 

परिवहन विभाग में कुछ समय पहले प्रवर्तन संवर्ग के ढांचे में बदलाव किया गया। इसके तहत इस संवर्ग में प्रवर्तन सिपाही, प्रवर्तन पर्यवेक्षक और वरिष्ठ प्रवर्तन पर्यवेक्षक के पद सृजित किए गए हैं। पहले इस संवर्ग में प्रवर्तन सिपाही के बाद प्रवर्तन पर्यवेक्षक का पद था। इसके बाद इस संवर्ग में पदोन्नति का कोई मौका नहीं था। प्रवर्तन पर्यवेक्षक के पद भी बेहद सीमित थे। इस कारण अधिकांश सिपाही पूरी सेवा करने के बाद पदोन्नति नहीं ले पाते थे। इसे लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई। 

कोर्ट के निर्देशों के क्रम में विभाग ने प्रवर्तन सिपाहियों की संख्या बढ़ाने के साथ ही सीनियर सुपरवाइजर का नया पद सृजित किया। इसके लिए नई नियमावली बनाकर कैबिनेट से पारित की गई। इसमें प्रवर्तन सिपाही से प्रवर्तन पर्यवेक्षक पद पर पहली पदोन्नति भर्ती के छह साल बाद करने, पांच साल अथवा 11 साल की सेवा पर वरिष्ठ प्रवर्तन पर्यवेक्षक पद पर पदोन्नति देने की व्यवस्था की गई। 

इसके साथ ही यह व्यवस्था भी बनाई गई कि पर्वतीय और मैदानी क्षेत्रों में कितने वर्ष की सेवा करनी होगी। इसमें गरीब सवर्ण आरक्षण की व्यवस्था भी की गई। कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद शासन ने इस नियमावली को जारी करना था। हालांकि, कतिपय कारणों के चलते यह नियमावली शासन में ही लंबित चल रही है।

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