वरिष्ठता पर आपत्ति व दावों को लेकर हुई सुनवाई

राज्य गठन के दौरान उत्तर प्रदेश से सचिवालय सेवा में आए पांच अधिकारियों की नियुक्ति व वरिष्ठता को लेकर आई आपत्तियों व दावों पर सचिवालय प्रशासन ने सुनवाई की।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 07 Mar 2019 10:17 PM (IST) Updated:Thu, 07 Mar 2019 10:17 PM (IST)
वरिष्ठता पर आपत्ति व दावों को लेकर हुई सुनवाई
वरिष्ठता पर आपत्ति व दावों को लेकर हुई सुनवाई

राज्य ब्यूरो, देहरादून: राज्य गठन के दौरान उत्तर प्रदेश से सचिवालय सेवा में आए पांच अधिकारियों की नियुक्ति व वरिष्ठता को लेकर आई आपत्तियों व दावों पर सचिवालय प्रशासन ने सुनवाई की। अब जल्द ही इस मामले में सचिवालय प्रशासन निर्णय लेगा।

राज्य गठन के दौरान उत्तर प्रदेश सचिवालय सेवा से पांच समीक्षा और एक सहायक समीक्षा अधिकारी उत्तराखंड आए थे और फिर समय-समय पर पदोन्नति लेकर अनुसचिव से लेकर संयुक्त सचिव तक के पद पर पहुंच गए। इनकी वरिष्ठता को लेकर सचिवालय कर्मियों ने आपत्ति जताई थी। उनका कहना था कि 1991 की प्रतीक्षा सूची के आधार पर तैनात अधिकारियों की नियुक्ति असंवैधानिक है। तब शासन ने यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रही याचिका के निर्णय के अधीन किया था। सुप्रीम कोर्ट वर्ष 2015 में दिए एक निर्णय में मानवीय आधार पर इन अधिकारियों की नियुक्ति तो बनाई रखी लेकिन इनकी ज्येष्ठता तय करने के संबंध में राज्य सरकारों को निर्देशित किया। इसी दौरान सचिवालय प्रशासन ने इन अधिकारियों को पदावनत करते हुए इनकी ज्येष्ठता 2005 की वरिष्ठता सूची के आधार पर करने के आदेश दिए थे। हालांकि, इन अधिकारियों को इन पदों पर न भेजकर मुख्यमंत्री कार्यालय में ओएसडी बनाकर रखा गया। अब एक बार फिर वरिष्ठता सूची तय हो रही है तो इन पांचों अधिकारियों की वरिष्ठता तय करने को आपत्ति व दावे मांगे गए, जिस पर सचिव सचिवालय प्रशासन सुशील कुमार की अध्यक्षता में गुरुवार को सुनवाई हुई। सचिव सचिवालय प्रशासन ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपना निर्णय अभी सुरक्षित रखा है।

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