समाज के मार्गदर्शक होते हैं वरिष्ठ नागरिक:बहन आरती
वरिष्ठ नागरिक समाज के पथ प्रदर्शक हैं। मगर वर्तमान दौर में उनकी उपेक्षा हो रही है।
जागरण संवाददाता, ऋषिकेश:
वरिष्ठ नागरिक समाज के पथ प्रदर्शक हैं। मगर, वर्तमान दौर में सही शिक्षा व संस्कारों की कमी के चलते वरिष्ठ नागरिकों को परिवार के बीच में ही परेशानी उठानी पड़ रही है। यह बात प्रजापिता बह्मकुमारी विश्वविद्यालय की बहन आरती ने कही।
वह रविवार को रुक्मणि माई धर्मशाला ट्रस्ट में आयोजित गोष्ठी में विचार व्यक्त कर रही थीं। उन्होंने कहा कि 60 वर्ष की उम्र पार करने के बाद व्यक्ति को उपेक्षा व परेशानियों से जूझना पड़ता है। जबकि इस उम्र के बाद ही उन्हें बच्चों के सहयोग की जरूरत होती है। सनातन संस्कृति व प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति में माता-पिता व बुजुर्गों की सेवा को सर्वोपरि माना गया है। मगर पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव ने कहीं न कहीं इन आदर्शों को प्रभावित करने का काम किया है। शिक्षाविद देवेंद्र दत्त सकलानी ने कहा कि आज इंडोनेशिया, श्रीलंका, बाली, सुमात्रा, मारीशस आदि देश में रामायण, वेद तथा पुराण पर आधारित शिक्षा को महत्व दिया जा रहा है। इसकी वजह भारतीय प्राचीन ग्रंथ में निहित नैतिक शिक्षा ही है। इस दौरान शिक्षाविद डा. दयाधर दीक्षित, संदीप शास्त्री आदि ने भी विचार व्यक्ति किए। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ नागरिक अपने अनुभवों के कारण समाज में मार्गदर्शक होते हैं। हमें उनका सम्मान कर अनुभव का लाभ लेना चाहिए।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने रुकमणी माई धर्मशाला में 100 वर्ष पुराने मंदिर के प्रांगण में भक्तों की सुविधा के लिए टीनशेड के निर्माण के लिए पांच लाख रुपये देने की घोषणा की। इस अवसर पर अवकाश प्राप्त अधीक्षण अभियंता अनिल मित्तल, धर्मशाला के प्रबंधक अमरदीप जोशी, महासचिव श्याम नारायण कपूर, ब्रह्म प्रकाश शर्मा, वेद प्रकाश ढींगडा, गंभीर सिंह मेवाड़ ,मुकुल शर्मा, वीरेंद्र शर्मा, वेद प्रकाश शर्मा, नरेंद्र मैनी, मदन मोहन शर्मा आदि ने विचार व्यक्त किए।