सिटी:: सामान्य बच्चों से भिन्न के लिए चाहिए प्रभावी कार्यप्रणाली: तरूण

विकासनगर पूर्व सांसद तरूण विजय ने कहा कि जो बच्चे सामान्य से भिन्न होते हैं उनकी व्यथा उनके अभिभवकों के अतिरिक्त और कोई नहीं समझ सकता। पूर्व सांसद तरुण विजय ने झाझरा स्थित वनवासी आश्रम में आयोजित एक सेमिनार में यह उक्त विचार रखे।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 26 Sep 2021 12:24 AM (IST) Updated:Sun, 26 Sep 2021 12:24 AM (IST)
सिटी:: सामान्य बच्चों से भिन्न के लिए चाहिए प्रभावी कार्यप्रणाली: तरूण
सिटी:: सामान्य बच्चों से भिन्न के लिए चाहिए प्रभावी कार्यप्रणाली: तरूण

जागरण संवाददाता, विकासनगर: पूर्व सांसद तरूण विजय ने कहा कि जो बच्चे सामान्य से भिन्न होते हैं, उनकी व्यथा उनके अभिभावकों के अतिरिक्त और कोई नहीं समझ सकता। हमें ऐसे बच्चों और उनके अभिभावकों की आवाज बनकर समाज में उचित मुकाम तक पहुंचाने के लिए कार्य करने की आवश्यकता है। इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार की प्रभावी कार्यप्रणाली की आवश्यकता होगी, ताकि ऐसे बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षा और चिकित्सा के उचित प्रबंध किये जा सकें।

झाझरा स्थित वनवासी आश्रम में देहरादून डायलाग आन लर्निंग डिसएबिलिटी कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए पूर्व सांसद तरूण विजय ने कहा कि कार्यक्रम में मौजूद अधिकारी, कर्मचारी और विभिन्न सामाजिक संगठन जो इस प्रकार के बच्चों और व्यक्तियों के विकास के लिए कार्य कर रहे हैं, उनका प्रयास सराहनीय है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में दक्षिण भारतीय राज्यों में बेहतर काम हुआ है। विशेषकर तमिलनाडु ने इस क्षेत्र में अच्छा कार्य किया है। उन्होंने संसद व विधानसभाओं में इस पर गहन चर्चा की आवश्यकता पर बल दिया। कहा कि हमारे समाज में जो इस प्रकार के बच्चे हैं, उनके बेहतर विकास, शिक्षा, सुरक्षा के लिए ठोस रणनीति बनाने की आवश्यकता है। कार्यक्रम में मुख्य विकास अधिकारी नितिका खंडेलवाल ने पूर्व सांसद व अध्यक्ष डायलैक्सिया सोसायटी आफ उत्तराखंड तरूण विजय का जनपद में कार्यक्रम आयोजित करने के लिए आभार जताया। उन्होंने कहा कि जो बच्चे किसी न किसी रूप से दिव्यांग हैं, उनके प्रति हमें और समाज को अपना नजरिया बदलने की आवश्यकता है। इस प्रकार के बच्चों को बेचारा कहकर सहानुभूति के स्थान पर उनकी डिसएबीलिटी को समझते हुए उसको दूर करने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हर एक व्यक्ति का अपना व्यक्तित्व होता है, बस उसको समझने की आवश्यकता है। यदि किसी व्यक्ति व बच्चे में सामान्य बच्चों से भिन्न लक्षण हैं तो उन्हें पहचानते हुए उसमें सुधार लाने का प्रयास करना होगा। इन बच्चों के सर्वागीण विकास के लिए उचित शिक्षा के लिए प्रशिक्षित शिक्षक तैयार करने की आवश्यकता है, ताकि यदि किसी बच्चे में सामान्य बच्चों से भिन्न लक्षण हैं या लर्निंग डिसएबिलिटी है तो उनकी पहचान कर शुरुआती चरण में ही इसका उपचार किया जा सके। उन्होंने कहा कि उन्हें समाज का ही अभिन्न अंग मानते हुए उन्हें स्वीकार करें और विभिन्न क्षेत्रों में उन्हें अवसर प्रदान किए जाने के प्रयास करें। कार्यक्रम में अरूणा संगठन से अपर्णादास, डा. हिमांशु दास निदेशक नेशनल इंस्टीट्यूट आफ इम्पावरमेंट आफ पर्सन विसूवल इम्पेयरमैंन्ट, ललित पंत सचिव सक्षम संस्था, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. मनोज कुमार उप्रेती ने इस क्षेत्र में और अधिक सुधार के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए। कार्यक्रम में जिला समाज कल्याण अधिकारी हेमलता पांडे, खंड शिक्षाधिकारी सहसपुर पंकज शर्मा, जिला कार्डिनेटर शिक्षा लक्ष्मी तड़ियाल समेत संबंधित विभागों के अधिकारी, शिक्षक, संगठन प्रतिनिधि मौजूद रहे।

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