सर्वे पूरा, कैंट में ही हैं सील किए गए हॉस्टल; पढ़िए पूरी खबर Dehradun News

देहरादून कैंट बोर्ड के सीमा विवाद का पटाक्षेप हो ही गया। इसी के साथ यह भी स्पष्ट हो गया है बोर्ड ने जिन तीन अवैध हॉस्टल को सील किया था वह कैंट बोर्ड के ही अंतर्गत हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Fri, 18 Oct 2019 02:01 PM (IST) Updated:Fri, 18 Oct 2019 02:01 PM (IST)
सर्वे पूरा, कैंट में ही हैं सील किए गए हॉस्टल; पढ़िए पूरी खबर  Dehradun News
सर्वे पूरा, कैंट में ही हैं सील किए गए हॉस्टल; पढ़िए पूरी खबर Dehradun News

देहरादून, जेएनएन। आखिरकार देहरादून कैंट बोर्ड के सीमा विवाद का पटाक्षेप हो ही गया। इसी के साथ यह भी स्पष्ट हो गया है, बोर्ड ने जिन तीन अवैध हॉस्टल को सील किया था, वह कैंट बोर्ड के ही अंतर्गत हैं। 

गुरुवार को यह संयुक्त सर्वे राजस्व, सर्वे ऑफ इंडिया, रक्षा संपदा मेरठ और देहरादून कैंट बोर्ड की टीम की ओर से किया गया। रात तक जारी रहे सर्वे में जीपीएस प्वाइंट का अध्ययन किया गया। इसी के साथ उनका मिलान विभिन्न नक्शों से किया गया। अधिकारियों ने पाया कि कैंट बोर्ड ने जिन तीन हॉस्टल को सील किया है, वह जीपीएस प्वाइंट (कोर्डिनेट) के भीतर कैंट क्षेत्र में हैं। वर्ष 2016 में एक अवैध निर्माण को लेकर जो सर्वे किया गया था, इस दफा भी सीमा की वही स्थिति निकलकर सामने आई। 

दूसरी तरफ मिठ्ठी बेहड़ी क्षेत्र में भी जीपीएस पिलर के प्वाइंट के अनुरूप ही कैंट की सीमा पाई गई। अब शुक्रवार को सर्वे के अनुसार संयुक्त रिपोर्ट तैयार की जाएगी। जिसे हाईकोर्ट के सुपुर्द किया जाना है। सर्वे टीम में कैंट बोर्ड सीईओ तनु जैन, अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) रामजी शरण शर्मा, एसडीएम सदर कमलेश मेहता, तहसीलदार एमसी रमोला, नायब जसपाल सिंह राणा समेत रक्षा संपदा व सर्वे ऑफ इंडिया के अधिकारी शामिल रहे। 

अब कैंट ही करेगा कार्रवाई 

सर्वे की स्थिति स्पष्ट होने के बाद अब कैंट बोर्ड ही अवैध हॉस्टल पर नियमानुसार कार्रवाई करेगा। फिलहाल, सीमा विवाद के कारण हॉस्टलों के ध्वस्तीकरण के प्रस्ताव में बोर्ड के समक्ष नहीं रखा जा सका था। अब निकट भविष्य में कभी भी इस तरह का प्रस्ताव लाया जा सकता है। 

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एमडीडीए को शामिल करते तो बच जाती कसरत 

एमडीडीए पूर्व में ही एक आरटीआइ के जवाब में स्पष्ट कर चुका था कि सील किए गए हॉस्टल कैंट बोर्ड की सीमा में हैं। यह जानकारी जिलाधिकारी को भी दी गई थी। इसके बाद भी एमडीडीए को न तो सर्वे का हिस्सा बनाया गया, न ही उनके रिकॉर्ड पर गौर किया गया। यदि प्रशासन इस काम को पहले ही कर लेता तो अनावश्यक कसरत नहीं करनी पड़ती।

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