पहले 14 लाख का सामान लुटाया, अब सत्यापन से कर रहे परहेज

वन विकास निगम में न सिर्फ एक के बाद एक घोटाले सामने आ रहे हैं बल्कि अब अधिकारी उन पर पर्दा डालने में भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Mon, 22 Jul 2019 04:59 PM (IST) Updated:Mon, 22 Jul 2019 04:59 PM (IST)
पहले 14 लाख का सामान लुटाया, अब सत्यापन से कर रहे परहेज
पहले 14 लाख का सामान लुटाया, अब सत्यापन से कर रहे परहेज

देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड वन विकास निगम में न सिर्फ एक के बाद एक घोटाले सामने आ रहे हैं, बल्कि अब अधिकारी उन पर पर्दा डालने में भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे। ताजा मामला दो आइफोन, मैकबुक समेत 14 लाख रुपये के उस साजो-सामान से जुड़ा है, जो पूर्व अध्यक्ष हरीश धामी के लिए खरीदे गए थे। इस साजो-सामान का अब कहीं पता नहीं है, जबकि धारचूला सीट से विधायक रहे धामी ने वर्ष 2017 का विधानसभा चुनाव लडऩे के लिए इस आशय की एनओसी भी प्राप्त कर थी कि पूरा सामान लौटा दिया गया है। आरटीआइ में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाने के बाद अब अधिकारी इस घोटाले पर पर्दा डालने में जुट गए हैं। 

आरटीआइ क्लब के महासचिव एएस धुन्ता की ओर से मांगी गई जानकारी में यह बात सामने आई। जो जानकारी वन निगम ने उन्हें दी, उसमें यह पता नहीं चल पा रहा था कि यह सामान अब कहां है। क्योंकि निगम ने स्वयं सामान की सूची देकर यह कह दिया था कि सामान की स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही है। स्पष्ट सूचना न मिल पाने को लेकर धुन्ता ने सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया था। प्रकरण की सुनवाई करते हुए मुख्य सूचना आयुक्त शत्रुघ्न सिंह ने निगम को स्पष्ट सूचना देने को कहा।

इसके बाद जब आरटीआइ कार्यकर्ता ने वन निगम के निगम के पूर्व अध्यक्ष के आवास और व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए खरीदे गए सामान के निरीक्षण/सत्यापन कराने को कहा तो उन्हें अटपटा जवाब मिला। तीन दिन पहले मिले पत्र में निगम के लोक सूचनाधिकारी ने कहा है कि आरटीआइ एक्ट में सिर्फ सूचना देने का प्रावधान है, न कि उसके निरीक्षण आदि का। हालांकि, आरटीआइ एक्ट की धारा छह कहती है कि साजो-सामान, विकास कार्य आदि का न सिर्फ भौतिक सत्यापन कराया जा सकता है, बल्कि उनके सैंपल भी लिए जा सकते हैं। अब आरटीआइ कार्यकर्ता ने निगम पर घोटाले को छुपाने का आरोप लगाते हुए सूचना आयोग को इसकी शिकायत कर दी है। 

खरीदे गए कुछ प्रमुख सामान का ब्योरा (रु. में) 

नवंबर 2016, दो मैकबुक (3.99 लाख) 

दिसंबर 2016, दो आइफोन (2.01 लाख) 

नवंबर 2016, कंप्यूटर (49.05 हजार) 

जुलाई 2016, अलमारी (47.67 हजार) 

मई 2016, फ्रिज (30.015 हजार) 

जून 2015, फ्रिज (37.5 हजार) 

अगस्त 2015, दो मोबाइल (63 हजार) 

अगस्त 2015, पांच डेस्कटॉप (49.9 हजार) 

इन घपलों में पहले ही घिरा वन निगम 

-करोड़ों रुपये का टीडीएस घोटाला। 

-50 लाख का सामान कौडिय़ों के भाव कुछ हजार रुपये में नीलाम करना। 

-पेट्रोल-डीजल घोटाला। 

-जलपान और बैठकों के नाम पर खाद्य सामग्री की खरीद में लाखों रुपये की अनियमितता। 

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