Sawan Somvar 2020: सावन के पहले सोमवार पर शिवालयों मे उमड़े श्रद्धालु, जानिए महत्व

Sawan Somvar 2020 उत्तराखंड में सावन माह के पहले सोमवार को शिवालयों में श्रद्धालु उमड़ पड़े। शिव का जलाभिषेक और पूजा-अर्चना के बाद उन्होंने मन्नते मांगी।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Mon, 06 Jul 2020 08:51 AM (IST) Updated:Mon, 06 Jul 2020 10:18 PM (IST)
Sawan Somvar 2020: सावन के पहले सोमवार पर शिवालयों मे उमड़े श्रद्धालु, जानिए महत्व
Sawan Somvar 2020: सावन के पहले सोमवार पर शिवालयों मे उमड़े श्रद्धालु, जानिए महत्व

देहरादून, जेएनएन। Sawan Somvar 2020 अद्भुत संयोग के साथ सावन का पवित्र महीना शुरू हो गया है। पहले सोमवार को धर्मनगरी हरिद्वार, तीर्थनगरी ऋषिकेश समेत उत्तराखंड के विभिन्न शिवालयों में शारीरिक दूरी बनाकर पूजा की गई। टपकेश्वर मंदिर में जलाभिषेक को सुबह से श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुरू हो गया था। मंदिरों में जल चढ़ाने के लिए श्रद्धालुओं को घर से ही लोटा लेकर आना पड़ा। बेलपत्र और प्रसाद चढ़ाने, मूर्तियों को छूने, तिलक लगाने की पाबंदी है। हालांकि, कुछ मंदिरों में जल चढ़ाने की अनुमति नहीं दी गई। इससे पहले रविवार को देर शाम तक मंदिरों को सजाने और कोरोनाकाल में सावधानी को देखते हुए व्यवस्था बनाई गई है। मंदिरों के बाहर गोले बनाए गए हैं, घंटियों को कपड़े से बांधा गया है। मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए गेट पर सेनिटाइजर की व्यवस्था की गई है। साथ ही शारीरिक दूरी का पालन करने समेत जरूरी एहतियात बरतने को लेकर मंदिरों के बाहर पोस्टर चस्पा किए गए हैं।

सावन महीने में शिवालयों में जलाभिषेक का विशेष महत्व है और सोमवार को जल चढ़ाने की महत्ता काफी बढ़ जाती है। मान्यता है कि इस दिन जल चढ़ाने से मनवांछित फल मिलता है। श्रद्धालु व्रत रखकर भगवान शिव की आराधना के साथ जलाभिषेक करते हैं। इस बार सावन माह में पांच सोमवार हैं। तीन व्रत कृष्ण पक्ष और दो शुक्ल पक्ष में हैं। मैदानी क्षेत्रों में छह जुलाई जबकि पहाड़ी क्षेत्रों में 13 जुलाई से सावन शुरू होगा, जो तीन अगस्त को रक्षाबंधन पर संपन्न होगा। पंडित भरतराम तिवारी बताते हैं कि इस महीने सभी सोमवार व्रत रखने से भगवान भोले की कृपा बरसती है। इसलिए मनोकामना पूरी होने के लिहाज से इस महीने को पवित्र माना गया है। 

पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर, टपकेश्वर महादेव, सनातन धर्म मंदिर, जंगम शिवालय में पूरी तैयारियां की गई। जंगम शिवालय के 108 महंत कृष्णगिरी महाराज ने बताया कि टपकेश्वर महादेव मंदिर और जंगम शिवालय पलटन बाजार में जल चढ़ाने वाले पात्र को फिटकरी के पानी में रखे जाएंगे। यहां से श्रद्धालु पात्र उठाकर उसमें पानी भरकर जलाभिषेक कर सकेंगे। 

कमलेश्वर महादेव और सनातन धर्म मंदिर में नहीं चढ़ेगा जल

जीएमएस रोड स्थित कमलेश्वर महादेव मंदिर केमीडिया प्रभारी अजय कांत ने बताया कि कोरोनाकाल के चलते सावन पर इस बार मंदिर में जल नहीं चढ़ेगा। श्रद्धाल भगवान के दर्शन कर सकते हैं। सनातन धर्म मंदिर नेहरू कॉलोनी के कोषाध्यक्ष डॉ. राधेश्याम त्यागी ने बताया कि मंदिर समिति ने श्रद्धालुओं से जलाभिषेक न करने की अपील की है।

शहर के शिवालयों में विशेष है जंगम शिवालय

शहर के बीच बसे पलटन बाजार स्थित जंगम शिवालय शहर के प्रमुख शिवमंदिरों में शुमार है। श्री पंचायती अखाड़ा महानिवाणी के अधीन संचालित इस शिवालय का इतिहास बहुत पुराना हैं। शिवालय के महंत 108 कृष्ण गिरि महाराज बताते हैं कि आज से करीब 184 साल पहले इस जगह पर अंग्रेजों ने पूजा होती देखी तो खुश होकर उन्होंने मंदिर के लिए जगह उपलब्ध करवाई। लिंगायत शैव संप्रदाय में दीक्षित जंगम बाबा ने यहां सबसे पहले शिवलिंग की स्थापना की। बाबा के नाम पर ही इस शिवालय का नाम श्री जंगम शिवालय पड़ा। मान्यता के अनुसार गढ़ी कैंट स्थित श्री टपकेश्वर महादेव के जलाभिषेक करने के बराबर ही यहां फल मिलता है। शिवालय में हर दिन भगवान शिव के जलाभिषेक को भक्त पहुंचते हैं। लेकिन, श्रवण मास में भक्तों की भीड़ काफी बढ़ जाती है।

शिव की महिमा और सावन का महत्व

सावन के महीने का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व माना जाता है। पूर्णमासी को श्रवण नक्षत्र का योग होने के कारण यह मास श्रवण कहलाता है। इस मास की संपूर्ण कला केवल ब्रह्मा जी ही जानते हैं। इस मास के पूरे तीस दिन जप, तप, व्रत और पुण्य कार्यों के लिए उत्तम माने गए हैं। शिवजी को यह मास सर्वाधिक प्रिय है। पुराणों के अनुसार सावन में भगवान शिव की पूजा, अभिषेक, शिव स्तुति, मंत्र जाप का खास महत्व है। खासकर सोमवारी के दिन महादेव की आराधना से शिव और शक्ति दोनों प्रसन्न होते हैं। इनकी कृपा से दैविक, दैहिक और भौतिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। सावन का महीना पूरी तरह से भगवान शिव को समर्पित रहता है। इस माह में विधि पूर्वक शिवजी की आराधना करने से, मनुष्य को शुभ फल भी प्राप्त होते हैं। इस माह में भगवान शिव के रुद्राभिषेक का विशेष महत्व है।

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चंद्र और सौर सावन में पांच-पांच सोमवार

उत्तराखंड में चंद्र सावन और सौर सावन, दोनों ही महीनों को मान्यता है। यहां पर्वतीय जिलों में जहां सौरमास के अनुसार सावन के व्रत रखे जाते हैं, वहीं मैदानी, खासकर हरिद्वार जिले में चंद्रमास के हिसाब से। जबकि, देहरादून शहर में श्रद्धालु चंद्र और सौरमास, दोनों के अनुसार सोमवार के व्रत रखते हैं। ज्योतिषाचार्य स्वामी दिव्येश्वरानंद बताते हैं कि चंद्र सावन की शुरुआत पूर्णिमा से पांच जुलाई को हो चुकी है। जबकि, सौर सावन की शुरुआत संक्रांति से 16 जुलाई को होगी। चंद्र और सौर, दोनों महीनों में पांच-पांच सोमवार पड़ रहे हैं। 

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