सल्ट उपचुनाव : भाजपा व कांग्रेस के लिए लिटमस टेस्ट

अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले हो रहा विधानसभा की सल्ट सीट का उपचुनाव भाजपा व कांग्रेस दोनों के लिए लिटमस टेस्ट से कम नहीं है। भाजपा के लिए यह साख का सवाल है तो 11 पर सिमटी कांग्रेस को संजीवनी की तलाश है।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Sat, 17 Apr 2021 06:30 AM (IST) Updated:Sat, 17 Apr 2021 06:30 AM (IST)
सल्ट उपचुनाव : भाजपा व कांग्रेस के लिए लिटमस टेस्ट
विधानसभा की सल्ट सीट का उपचुनाव भाजपा व कांग्रेस दोनों के लिए लिटमस टेस्ट से कम नहीं है।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले हो रहा विधानसभा की सल्ट सीट का उपचुनाव भाजपा व कांग्रेस दोनों के लिए लिटमस टेस्ट से कम नहीं है। वर्ष 2017 में प्रचंड बहुमत से सत्तासीन हुई भाजपा के लिए यह साख का सवाल है तो विधानसभा में सदस्य संख्या के लिहाज से 11 पर सिमटी कांग्रेस को संजीवनी की तलाश है। इसे देखते हुए दोनों ही दलों ने सल्ट में पूरी ताकत झोंके रखी। शनिवार को होने वाले मतदान के साथ ही सल्ट क्षेत्र की जनता ने क्या फैसला दिया, वह ईवीएम में बंद हो जाएगा। हालांकि, गणना के नतीजे आने तक जनादेश को लेकर तस्वीर साफ हो जाएगी, मगर तब तक दोनों ही दलों की धड़कनें जरूर बढ़ी रहेंगी।

भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के निधन से रिक्त हुई विधानसभा की सल्ट सीट के उपचुनाव को वर्ष 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव की रिहर्सल के तौर पर भी देखा जा रहा है। उपचुनाव में जिस भी पार्टी के सिर जीत का सेहरा सजेगा, वह बढ़े मनोबल के साथ विधानसभा चुनाव में उतरेगी। इस सबको देखते हुए प्रदेश में सत्तासीन भाजपा ने थराली व पिथौरागढ़ की भांति सल्ट में भी सहानुभूति कार्ड चला है। भाजपा ने यहां के दिवंगत विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के भाई महेश जीना पर दांव खेला है।

भाजपा के नजरिये से देखें तो यह चुनाव उसके लिए साख का सवाल भी है। इसमें भाजपा सरकार के पिछले चार साल के कामकाज पर जनता की मुहर लगनी है। साथ ही सरकार और संगठन में हुए नेतृत्व परिवर्तन के बाद मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक के कौशल की परीक्षा भी होनी है। यही वजह भी है कि भाजपा ने चुनाव में पूरी ताकत झोंके रखी।

कांग्रेस ने सल्ट उपचुनाव में पिछले चुनाव में काफी कम अंतर से हारी गंगा पंचोली को मैदान में उतारा है। कांग्रेस भी सल्ट के माध्यम से संजीवनी की तलाश में है। उसके सामने अपनी खिसकती जमीन बचाने की चुनौती है। दरअसल, वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी थी। विधानसभा में उसके विधायकों की 11 की संख्या इसकी तस्दीक करती है। ऐसे में कांग्रेस ने भी पूरा जोर उपचुनाव में लगाए रखा।

यह भी पढ़ें-भाजपा ने एक बार फिर साधा कांग्रेस पर निशाना, कहा- पार्टी की हालत 'खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे' वाली

Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें

chat bot
आपका साथी