सहानुभूति की लहर का एंटी इनकंबेंसी पर कहर

Salt By Election 2021 अल्मोड़ा जिले की सल्ट विधानसभा सीट के उपचुनाव में एंटी इनकंबेंसी के सहारे नैया पार लगाने की कांग्रेस की कोशिशें एक बार फिर धरी रह गईं। सहानुभूति की लहर पर सवार भाजपा ने कांग्रेस की चुनौती को सिर्फ ध्वस्त ही नहीं किया।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Mon, 03 May 2021 05:41 PM (IST) Updated:Mon, 03 May 2021 05:41 PM (IST)
सहानुभूति की लहर का एंटी इनकंबेंसी पर कहर
सहानुभूति की लहर का एंटी इनकंबेंसी पर कहर।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। Salt By Election 2021 अल्मोड़ा जिले की सल्ट विधानसभा सीट के उपचुनाव में एंटी इनकंबेंसी के सहारे नैया पार लगाने की कांग्रेस की कोशिशें एक बार फिर धरी रह गईं। सहानुभूति की लहर पर सवार भाजपा ने कांग्रेस की चुनौती को सिर्फ ध्वस्त ही नहीं किया, बल्कि कांग्रेस को अब आगे आत्म मंथन करने के लिए मजबूर कर दिया है। सल्ट उपचुनाव कई मायनों में कांग्रेस के लिए बेहद खास था। अगले विधानसभा चुनाव से चंद महीनों पहले हो रहे इस चुनाव को खुद कांग्रेस ने प्रतिष्ठा से जोड़ लिया था। पार्टी ने तकरीबन एक पखवाड़े तक पूरी व्यूह रचना के साथ चुनाव प्रचार में ताकत झोंकी थी। 

पूरे प्रदेश खासतौर पर कुमाऊं की सियासत पर मजबूत दखल रखने वाले पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव समेत तमाम क्षेत्रीय दिग्गजों ने प्रदेश की भाजपा सरकार के खिलाफ चार साल की एंटी इनकंबेंसी को भुनाने की पुरजोर कोशिश की। चुनाव प्रचार की रणनीति को अंतिम रूप देते वक्त ही प्रदेश की सत्ता में वापसी को हाथ-पांव मार रही प्रमुख प्रतिपक्षी पार्टी कांग्रेस ने चुनाव प्रचार की रणनीति में एंटी इनकंबेंसी को ही तवज्जो दी। इस बीच प्रदेश सरकार में हुए नेतृत्व परिवर्तन के बाद बने माहौल में कांग्रेस ने खुद को मजबूत विकल्प के तौर पर पेश करने में कसर नहीं छोड़ी। इन सब कोशिशों के बावजूद सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी को कांग्रेस धार नहीं दे सकी। 

नतीजा पिछले चुनाव के मुकाबले कांग्रेस को इस बार ज्यादा मतों से हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस की पेशानी पर बल पड़ने की खास वजह ये भी है कि मतगणना के दाैरान कुल 12 चक्रों में से एक में भी उसे बढ़त नहीं मिलना रहा है। पार्टी ने अपनी प्रत्याशी गंगा पंचोली को गांव की चेली कहकर मतदाताओं के बीच प्रचारित किया था। बावजूद इसके भाजपा के सहानुभूति लहर के दांव की काट कांग्रेस तलाश नहीं कर सकी। ऐसे में पार्टी को भविष्य में जनाधार को मजबूत करने के लिए अपनी रणनीति को नए सिरे से धार देनी पड़ सकती है।

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