Subhash Chandra Bose Jayanti 2021: नेताजी के साथ दून के साधु सिंह बिष्ट ने लड़ी आजादी की जंग, कई बार गए जेल
आजाद हिंद फौज के सिपाही एवं द्वितीय विश्व युद्ध में हिस्सा ले चुके बारूवाला (भानियावाला) निवासी साधु सिंह बिष्ट 102 वसंत देख चुके हैं लेकिन देशभक्ति का जज्बा उनमें आज भी वैसा ही है जैसा जवानी के दिनों में रहा होगा।
हरीश कोठारी, डोईवाला (देहरादून)। Subhash Chandra Bose Jayanti 2021 आजाद हिंद फौज के सिपाही एवं द्वितीय विश्व युद्ध में हिस्सा ले चुके बारूवाला (भानियावाला) निवासी साधु सिंह बिष्ट 102 वसंत देख चुके हैं, लेकिन देशभक्ति का जज्बा उनमें आज भी वैसा ही है, जैसा जवानी के दिनों में रहा होगा। स्वतंत्रता आंदोलन में कई बार जेल गए साधु सिंह को वर्ष 1972 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ताम्रपत्र प्रदान किया था।
स्वतंत्रता सेनानी साधु सिंह वर्ष 1940 में सेना में भर्ती हुए, तब सिंगापुर-मलय में द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हो चुका था। युद्ध के दौरान उन्हें व उनके तमाम साथियों को जापानियों ने कैद कर लिया। जब वे जेल से छूटे तो नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नारे 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा' से प्रभावित होकर आजाद हिंद फौज में भर्ती हो गए। बकौल साधु सिंह, 'नेताजी की अगुआई में अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की लड़ाई तेज हो चुकी थी। हमारी भी चटगांव में दुश्मनों से जोरदार जंग हुई। कई जवान घायल हो गए, लेकिन हमने घुटने नहीं टेके और दुश्मन से लोहा लेते रहे। हमारे कई सैनिकों को अंग्रेजों ने बंदी बना लिया। युद्ध में हाथ पर गोली लगने से मैं भी घायल हो गया था, सो मुझे भी गिरफ्तार कर लिया गया। सात अप्रैल 1946 को मुझे रिहा किया गया।'
साधु सिंह बताते हैं कि नेताजी के साथ उन्हें बहुत-कुछ सीखने को मिला। नई पीढ़ी को भी नेताजी और स्वतंत्रता संग्राम के अनुभवों से परिचित कराए जाने की जरूरत है। कहते हैं, सामाजिक कुरीतियों और भ्रष्टाचार ने हमें बहुत पीछे धकेल दिया है। इसके खिलाफ मजबूती से आवाज उठानी होगी। वह स्वयं भी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ मुखर रहते हैं। हालांकि, उम्र अधिक होने के कारण उन्हें अब काफी कम सुनाई देता है।
सीएम राहत कोष में दी एक माह की पेंशन
कोरोना काल में स्वतंत्रता सेनानी साधु सिंह ने अपनी एक माह की पेंशन मुख्यमंत्री राहत कोष में दान कर दी थी। उनके पुत्र बिजेंद्र सिंह बिष्ट बताते हैं कि 23 जनवरी को नेताजी के जन्म दिवस पर उन्हें शासन की ओर से आमंत्रित किया गया है।
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