नहीं मिलेगा आइएसबीटी का स्वामित्व, दिए जाएंगे 58 करोड़; पढ़िए पूरी खबर

रोडवेज की हरिद्वार रोड स्थित कार्यशाला की जमीन को शहरी विकास विभाग को देने के बदले देहरादून आइएसबीटी का स्वामित्व मांग रहे रोडवेज के कर्मचारी संगठनों को बड़ा झटका लगने वाला है।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Sun, 15 Dec 2019 03:59 PM (IST) Updated:Sun, 15 Dec 2019 03:59 PM (IST)
नहीं मिलेगा आइएसबीटी का स्वामित्व, दिए जाएंगे 58 करोड़; पढ़िए पूरी खबर
नहीं मिलेगा आइएसबीटी का स्वामित्व, दिए जाएंगे 58 करोड़; पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, अंकुर अग्रवाल। स्मार्ट सिटी के लिए रोडवेज की हरिद्वार रोड स्थित कार्यशाला की जमीन को शहरी विकास विभाग को देने के बदले देहरादून आइएसबीटी का स्वामित्व मांग रहे रोडवेज के कर्मचारी संगठनों को बड़ा झटका लगने वाला है। कर्मचारी संगठन आइएसबीटी के साथ ही नई कार्यशाला के निर्माण के लिए सरकार से 50 से 100 करोड़ तक की मांग कर रहे थे। विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि इन दोनों मांग को सरकार की ओर से बनाई गई उच्च स्तरीय कमेटी ने खारिज कर दिया है। जमीन के बाजारी भाव को भी किनारे रखते हुए इस कमेटी ने रोडवेज को सर्किल रेट के हिसाब से भुगतान की तैयारी कर ली है जो करीब 58 करोड़ रुपये है। 

स्मार्ट सिटी के तहत कार्यशाला की करीब 25 एकड़ जमीन पर जिले के सभी सरकारी दफ्तरों की ग्रीन बिल्डिंग का निर्माण कराया जाना है। इसके लिए सरकार ने रोडवेज को यह जमीन शहरी विकास को ट्रांसफर करने के आदेश दिए हैं। रोडवेज कर्मचारी संगठन कार्यशाला की जमीन ट्रांसफर करने से पहले देहरादून आइएसबीटी का स्वामित्व रोडवेज के नाम करने और नई कार्यशाला बनाने के साथ ही शिफ्टिंग के खर्च में 50 से 100 करोड़ तक की मांग कर रहे। 

रोडवेज कर्मचारी यूनियन ने आइएसबीटी के स्वामित्व संग 50 करोड़ रुपये की डिमांड की हुई, जबकि कर्मचारी संयुक्त परिषद आइएसबीटी संग 100 करोड़ रुपये की डिमांड कर रही। आइएसबीटी का स्वामित्व न मिलने पर बाजारी रेट पर 300 करोड़ की डिमांड की जा रही। कर्मचारियों ने मामले को लेकर आंदोलन छेड़ा हुआ है और 20 दिसंबर को सचिवालय घेराव की चेतावनी दी हुई है। कर्मचारियों के विरोध को देखते हुए सरकार ने इस मामले में प्रतिपूर्ति के फैसले पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित कमेटी को विवाद का हल निकालने के निर्देश दिए थे।

जिसके तहत गत नौ दिसंबर को मुख्य सचिव उत्पल कुमार की अध्यक्षता में हुई बैठक में कार्यशाला की जमीन की प्रतिपूर्ति पर विचार किया गया। उच्चस्तरीय कमेटी में परिवहन और शहरी विकास सचिव शैलेश बगोली, रोडवेज के प्रबंध निदेशक रणवीर सिंह चौहान व वित्त सचिव अमित नेगी भी बतौर सदस्य मौजूद थे। सूत्रों के मुताबिक बैठक में वित्त विभाग ने आइएसबीटी और कार्यशाला शिफ्टिंग का खर्च देने से इनकार कर दिया।

वित्त विभाग ने यह भी बताया कि कार्यशाला की जमीन 1972 में सरकार ने ही रोडवेज को दी थी। यही नहीं सरकार ने रोडवेज को ट्रांसपोर्टनगर में भी जमीन दी हुई है। रोडवेज अधिकारियों की आपत्ति पर कार्यशाला की जमीन के बदले सर्किल रेट पर लगभग 58 करोड़ रुपये देने पर विचार चल रहा। रोडवेज के प्रबंध निदेशक रणवीर सिंह चौहान ने सर्किल रेट के हिसाब से ही भुगतान की पुष्टि की है। 

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20 करोड़ भी होंगे समाहित 

जमीन की प्रतिपूर्ति का विवाद निबटाने को सरकार ने रोडवेज के खाते में पिछले महीने जो 20 करोड़ रुपये की पहली किश्त डाली थी, वह भी कुल भुगतान 58 करोड़ रुपये में समाहित रहेगी। 

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नहीं मिल सकता आइएसबीटी का स्वामित्व 

रोडवेज को आइएसबीटी का स्वामित्व देने में तकनीकी अड़चन आड़े आ गई। सरकार ने आइएसबीटी की निर्माता रैमकी कंपनी के संग 2023 तक का अनुबंध किया हुआ है। दरअसल, सरकार ने रैमकी के साथ अप्रैल 2003 में पीपीपी मोड में आइएसबीटी का 20 साल का अनुबंध किया था। फिर जून 2004 में आइएसबीटी का लोकार्पण हुआ। तभी से रैमकी कंपनी इसका संचालन करती आ रही। ऐसे में करार की शर्तों के मुताबिक 2023 तक आइएसबीटी रैमकी के पास ही रहेगा। 

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