उत्तराखंड में आठ माह से नहीं हुई सड़क सुरक्षा समिति की बैठक, जानिए वजह

दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने को बनाई गई सड़क सुरक्षा समिति की बैठक आठ माह से नहीं हो पाई है। नियमानुसार यह बैठक छह माह में दो बार होनी चाहिए। बैठक के न होने के कारण कार्यों की समीक्षा और दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए कार्ययोजना नहीं बन पा रही।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Sat, 12 Jun 2021 05:40 PM (IST) Updated:Sat, 12 Jun 2021 05:40 PM (IST)
उत्तराखंड में आठ माह से नहीं हुई सड़क सुरक्षा समिति की बैठक, जानिए वजह
उत्तराखंड में आठ माह से नहीं हुई सड़क सुरक्षा समिति की बैठक।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने को बनाई गई सड़क सुरक्षा समिति की बैठक आठ माह से नहीं हो पाई है। नियमानुसार यह बैठक छह माह में दो बार होनी चाहिए। बैठक के न होने के कारण सड़क सुरक्षा के लिए अभी तक हुए कार्यों की समीक्षा और दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए कार्ययोजना नहीं बन पा रही है। केंद्र सरकार ने देश भर में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं को देखते हुए हर राज्य में सड़क सुरक्षा समिति बनाने के निर्देश दिए थे।

उत्तराखंड में समिति तीन स्तर पर बनाई गई है। मुख्य समिति के अध्यक्ष प्रदेश के परिवहन मंत्री हैं। यह समिति हर तीन माह में सड़क दुर्घटनाओं और उनके कारणों का आकलन करती है और उसे दूर करने के लिए उपाय भी बताती है। बीते वर्ष कोरोना के कारण सड़क सुरक्षा समिति की केवल एक ही बैठक हो पाई। यह बैठक भी अक्टूबर में हुई थी। इस बैठक में परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने वाहनों की आनलाइन ट्रेकिंग और ई-चालान सिस्टम को भी उच्चीकृत करने, जिला स्तरीय सड़क सुरक्षा समिति की निरंतर बैठकें करने और यातायात जागरूकता केंद्र खोलने के लिए भूमि चयन की कार्यवाही करने के निर्देश दिए थे।

उन्होंने वाहनों की जांच के लिए हाइवे पेट्रोल यूनिट के गठन की कार्यवाही में तेजी लाने को कहा था। मंत्री के आदेशों को तकरीबन 10 माह का समय बीत चुका है लेकिन इनमें से अधिकांश पर कार्य नहीं हुआ। इस बीच प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं में इजाफा भी हुआ है। कई वाहन चालकों के गलत तरीके से वाहन चलाने के मामले में चालान भी काटे गए हैं।

सड़क सुरक्षा समिति की बैठक के जरिये खतरनाक तरीके से वाहन चलाने के मामलों में लाइसेंस निरस्तीकरण जैसी कार्रवाई भी की जानी है। सड़क सुरक्षा समिति की यह बैठक पहले मार्च में में प्रस्तावित थी। उस समय विभिन्न राज्यों में चल रहे चुनावों में शासन के अधिकारियों की तैनाती की गई थी। ऐसे में इस कारण यह बैठक नहीं हो पाई। इसके बार कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के कारण यह बैठक अभी तक नहीं हो पाई है।

लीड एजेंसी में भी अधिकारियों की कमी

सड़क सुरक्षा के कार्यों के आपसी सामंजस्य के लिए परिवहन विभाग में लीड एजेंसी का गठन किया गया है। इसमें परिवहन विभाग के साथ ही स्वास्थ्य, लोक निर्माण विभाग और पुलिस के अधिकारी शामिल होते हैं। अभी लीड एजेंसी की स्थिति यह है कि पुलिस व लोक निर्माण विभाग से तैनात दोनों अधिकारियों के तबादले हो चुके हैं। इनके स्थान पर विभाग से किसी और को लीड एजेंसी में नहीं भेजा गया है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से भी किसी अधिकारी की तैनाती नहीं की गई है। इसमें अभी केवल परिवहन विभाग के अधिकारी ही तैनात हैं।

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