उत्तराखंड के पहाड़ी जनपदों में मौत का बढ़ता आंकड़ा बढ़ा रहा है चिंता
उत्तराखंड में कोरोना ने मैदानी जिलों के साथ पहाड़ी जनपदों में भी कहर ढाया है। शुरुआती चरण में मैदानी जिलों में ही ज्यादा संक्रमित मिल रहे थे लेकिन अब पहाड़ों में भी तेजी से मामले बढ़ रहे हैं। यही नहीं मरने वालों की संख्या भी अब चिंता बढ़ा रही है।
जागरण संवाददाता, देहरादून। उत्तराखंड में कोरोना ने मैदानी जिलों के साथ पहाड़ी जनपदों में भी कहर ढाया है। शुरुआती चरण में मैदानी जिलों में ही ज्यादा संक्रमित मिल रहे थे, लेकिन अब पहाड़ों में भी तेजी से मामले बढ़ रहे हैं। यही नहीं मरने वालों की संख्या भी अब चिंता बढ़ा रही है। स्थिति इसलिए भी गंभीर है क्योंकि पहाड़ी जिलों में मौत का प्रतिशत पहले के मुकाबले बढ़ा है।
राज्य में कोरोना के आंकड़ों का अध्ययन कर रही संस्था सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटी फाउंडेशन के अध्यक्ष अनूप नौटियाल का कहना है कि गत वर्ष पंद्रह मार्च से इस साल 30 अप्रैल तक 11.9 फीसद मौत पहाड़ी जिलों में हुई थी। जबकि मई में यह आंकड़ा बढ़कर 18.6 फीसद पहुंच गया है। नौटियाल का कहना है कि पहाड़ों पर रफ्तार पकड़ते कोरोना ने चिंता बढ़ा दी है। क्योंकि मैदान के मुकाबले वहां न तो स्वास्थ्य सुविधाएं हैं और न ही कोरोना से लडऩे के कोई खास इंतजाम। इन परिस्थितियों में पहाड़ों के दूरस्थ क्षेत्रों में न तो जांच हो पा रही है और न ही मरीजों को इलाज मिल पा रहा है। यदि कोरोना इसी रफ्तार से बढ़ता रहा तो आने वाले दिनों में स्थिति और विकट हो जाएगी। इस स्थिति से बचने के लिए एक ठोस रणनीति की जरूरत है।
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