हरबर्टपुर के ऋषभ सैनी को मिला गुड अचीवमेंट अवॉर्ड
नई दिल्ली में संपन्न हुई अंतरराष्ट्रीय आइटी चैलेंज प्रतियोगिता में प्रतिभाग कर ऋषभ ने गुड अचीवमेंट अवॉर्ड हासिल किया।
विकासनगर, जेएनएन। हरबर्टपुर के ऋषभ सैनी की उड़ान पंखों से नहीं हौसलों से है। जन्म से ही मूक बधिर इस 15 साल के नौनिहाल ने वो कारनामा कर दिखाया, जिसे हासिल करने में सक्षम व्यक्ति को भी कड़ी मेहनत करनी पड़ती है।
आठ से 11 नवंबर तक नई दिल्ली में संपन्न हुई अंतरराष्ट्रीय आइटी चैलेंज प्रतियोगिता में प्रतिभाग कर ऋषभ ने गुड अचीवमेंट अवॉर्ड हासिल किया। प्रतियोगिता में विश्वभर के 24 देशों के प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था। इससे पूर्व जून में हरियाणा के कुरुक्षेत्र में संपन्न हुई नेशनल आइटी चैलेंज प्रतियोगिता में भी देशभर से आए 160 प्रतिभागियों की मौजूदगी में पहला स्थान प्राप्त कर उन्होंने ग्लोबल आइटी चैलेंज के लिए अपनी जगह बनाई थी। इससे पूर्व भी ऋषभ आइटी प्रतियोगिता में कई पदक जीत चुके हैं।
उनका मानना है कि हौसला बुलंद हो तो कोई भी लक्ष्य आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। उनकी इस सफलता से साफ जाहिर होता है कि व्यक्ति के अंदर जज्बा हो तो उसकी सफलता में शारीरिक अक्षमता आड़े नहीं आ सकती। रिहैबिलिटेशन इंटरनेशल कोरिया की ओर से आठ से 11 नवंबर के बीच नई दिल्ली में संपन्न कराई गई इंटरनेशनल आइटी चैलेंज में हरबर्टपुर के बंशीपुर निवासी 15 वर्षीय ऋषभ सैनी ने श्रवण बाधित वर्ग में देश का प्रतिनिधित्व किया। चार श्रेणियों में आयोजित इस प्रतियोगिता के श्रवण बाधित श्रेणी में विश्वभर से आए 20 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया था। जिसमें ऋषभ को गुड अचीवमेंट अवॉर्ड मिला है।
हरबर्टपुर के एक निजी स्कूल में कक्षा नौ में अध्ययनरत ऋषभ के पिता विनय सैनी व माता सुनीता सैनी लंबे अरसे से दिव्यांग नौनिहालों के लिए कार्य कर रहे हैं। पछवादून विकलांग अभिभावक एसोसिएशन के माध्यम से दिव्यांग नौनिहालों को समाज में सम्मानजनक स्थान दिलाने के लिए दोनों ही कार्य कर रहे हैं। ऋषभ के माता-पिता ने बताया कि मूक बधिर होने के बावजूद बचपन से ही उनकी रुचि आइटी के क्षेत्र में रही है। कंप्यूटर से खेलना उनका शौक रहा है।
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