देहरादून में प्रापर्टी को लेकर रिटायर्ड अध्यापक की हत्या, शव बोरी के अंदर सौंग नदी में फेंका

देहरादून में करीब तीने महीने हुए हत्‍या के एक मामले का पुलिस ने पर्दाफाश कर दिया। पुलिस ने बताया कि तीन आरोपितों ने प्रापर्टी को लेकर एक रिटायर्ड टीचर की हत्‍या कर दी। इसके बाद शव को बोरी में डालकर सौंग नदी में फेंक दिया।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Mon, 18 Oct 2021 01:52 PM (IST) Updated:Mon, 18 Oct 2021 01:52 PM (IST)
देहरादून में प्रापर्टी को लेकर रिटायर्ड अध्यापक की हत्या, शव बोरी के अंदर सौंग नदी में फेंका
देहरादून में करीब तीने महीने हुए हत्‍या के एक मामले का पुलिस ने पर्दाफाश कर दिया।

जागरण संवाददाता, देहरादून। डेढ़ माह पहले डोईवाला में सेवानिवृत्त अध्यापक की हत्या उनकी प्रापर्टी हड़पने के लिए की गई थी। इस वारदात को तीन व्यक्तियों ने अंजाम दिया था। उनमें से दो को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। तीसरे की तलाश की जा रही है। सेवानिवृत्त अध्यापक का शव वारदात के 15 दिन बाद सौंग नदी में पुलिस को मिला था।

एसएसपी डीआइजी जन्मेजय खंडूडी ने बताया कि इसी 31 अगस्त को पारेश्वर प्रसाद निवासी जीवनवाला, फतेहपुर टांडा, डोईवाला ने तहरीर दी थी कि उनके चाचा सुभाष चंद्र शर्मा 30 अगस्त की शाम को घर से निकले और वापस नहीं आए। 62 वर्षीय सुभाष दून में पलटन बाजार स्थित सीएनआइ ब्वायज इंटर कालेज से बतौर शिक्षक सेवानिवृत्त थे। वह अविवाहित थे और डोईवाला में अकेले रहते थे। डोईवाला कोतवाली में अपहरण का मुकदमा दर्ज कर प्रभारी निरीक्षक राजेंद्र सिंह रावत को इस मामले की जांच सौंपी गई थी।

साथ ही एसओजी के प्रभारी रविंदर कुमार और दीपक धारीवाल को भी जांच में लगाया गया। सीसीटीवी फुटेज और फोन काल के रिकार्ड से पता चला कि सुभाष उस दिन अपने दोस्त प्रापर्टी डीलर विजय जोशी निवासी जीवनवाला के घर गए थे। विजय की पत्नी बच्चों के साथ जन्माष्टमी मनाने मायके जौलीग्रांट गई थी। सुभाष से पहले विजय के घर सतपाल और वीरेंद्र उर्फ रविंदर दोनों निवासी खैरीकला नेपाली फार्म रायवाला बाइक से पहुंचे थे। जिनके साथ मिलकर विजय ने सुभाष की हत्या की।

दरअसल, सुभाष की विजय से काफी पुरानी दोस्ती थी। विश्वास के चलते वह अपने व्यक्तिगत और जमीन संबंधी काम विजय से ही कराते थे। विजय पर सुभाष का चार-पांच लाख रुपये उधार भी था, जिसे वह वापस मांग रहे थे। सुभाष ने वर्ष 2020 में जीवनवाला के रहने वाले बलविंदर सिंह से 26 लाख रुपये में एक प्लाट खरीदा था। यह सौदा विजय जोशी के जरिये हुआ था। इसका फायदा उठाकर विजय ने प्लाट की रजिस्ट्री सुभाष के बजाय अपने नाम पर करा ली। वर्तमान में इस प्लाट की कीमत तकरीबन एक करोड़ रुपये है। इस धोखाधड़ी के बारे में पता चलने के बाद से सुभाष, विजय पर प्लाट की रजिस्ट्री उनके नाम करने के लिए दबाव बना रहे थे। प्लाट हड़पने के लिए विजय ने सुभाष की हत्या की साजिश रच डाली। रविवार को पुलिस ने विजय और वीरेंद्र को उनके घर से दबोच लिया।

ऐसे दिया घटना को अंजाम

घटना वाले दिन यानी 30 अगस्त को विजय ने बहाने से सुभाष को अपने घर बुलाया। सुभाष जब विजय के घर पहुंचे तो वहां सतपाल और वीरेंद्र भी मौजूद थे। विजय ने उन्हें सुभाष की हत्या में सहयोग करने के लिए पांच-पांच लाख रुपये देकर बुलाया था। वारदात के दौरान सतपाल और वीरेंद्र ने सुभाष के हाथ-पांव पकड़ रखे थे, जबकि विजय ने उनका गला घोंटा। इसके बाद तीनों ने शव को बोरी में डाला। शव को लेकर वह घर के पिछले दरवाजे से निकले और मोटरसाइकिल से उसे सौंग नदी में फेंक आए।

14 सितंबर को मिला था शव

काफी तलाश के बाद पुलिस को सुभाष का शव 14 सितंबर को डोईवाला में ही सौंग नदी में मिला था। तब इस मामले में आरोपित विजय से पूछताछ की गई थी, मगर वह पुलिस पर ही आरोप-प्रत्यारोप लगाने लगा। पुलिस को तभी इस वारदात में उसकी भूमिका होने का संदेह हो गया था। बाद में जांच के दौरान मिले साक्ष्यों से उसकी भूमिका की पुष्टि हो गई।

सतपाल को हरिद्वार के होटल में ठहराया

पुलिस से बचने के लिए विजय ने पूरी तैयारी कर रखी थी। सुभाष की हत्या के बाद उसने सतपाल को अंडरग्राउंड करते हुए हरिद्वार के एक होटल में ठहरा दिया था। होटल का भुगतान करने के लिए वह खुद हरिद्वार जाता था। जांच के दौरान पुलिस को इस बात का पता चल गया, मगर तब तक सतपाल होटल से फरार हो चुका था।

विजय की पत्नी पर रखता था गलत नजर

डीआइजी ने बताया, जांच में यह भी सामने आया कि सुभाष, आरोपित विजय की पत्नी पर गलत नजर रखता था। कई बार उसके साथ छेड़छाड़ भी की थी। तीन माह पहले विजय की पत्नी ने सुभाष का नंबर ब्लैक लिस्ट में डाल दिया था। इसके चलते भी सुभाष से विजय नाराज था।

टूटे-फूटे कमरे में रहता था करोड़पति सुभाष

पुलिस की जांच में सामने आया कि वर्तमान में सुभाष के बैंक खाते में 50 से 60 लाख रुपये जमा हैं। उसके नाम पर कई प्लाट भी थे। बावजूद इसके वह टूटे-फूटे कमरे में रहता था। खाना भी उसे परिचित देते थे।

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