दून के प्रेमनगर में फिर सजा अतिक्रमण, जिम्मेदारों ने नजरे फेरी Dehradun News

कोरोना संक्रमण की रोकथाम को 22 मार्च से लॉकडाउन क्या लागू किया गया कि अतिक्रमणकारियों के हौसले फिर बुलंद हो गए। इस बीच ठाकुरपुर रोड के किनारे 30 से अधिक दुकानें फिर तैयार कर दी।

By Bhanu Prakash SharmaEdited By: Publish:Tue, 07 Jul 2020 09:16 AM (IST) Updated:Tue, 07 Jul 2020 09:16 AM (IST)
दून के प्रेमनगर में फिर सजा अतिक्रमण, जिम्मेदारों ने नजरे फेरी Dehradun News
दून के प्रेमनगर में फिर सजा अतिक्रमण, जिम्मेदारों ने नजरे फेरी Dehradun News

देहरादून, सुमन सेमवाल। वर्ष 2018 में जब हाईकोर्ट के आदेश पर दून में अतिक्रमण के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा अभियान चलाया गया तो प्रेमनगर में मशीनरी के कदम ठिठक गए थे। भाजपा और कांग्रेस के नेता ही अतिक्रमण के आगे ढाल बनकर खड़े हो गए थे। हाईकोर्ट का आदेश था तो देर-सबेर अतिक्रमण ढहा दिए गए। हालांकि, चंद माह बाद ही सफेदपोशों की शह और टास्क फोर्स की चुप्पी के बाद अतिक्रमण ने फिर रफ्तार पकड़ ली। लिहाजा, 2019 में भी यहां अतिक्रमण ध्वस्त किए गए। 

अब कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए 22 मार्च से लॉकडाउन क्या लागू किया गया कि अतिक्रमणकारियों के हौसले फिर बुलंद हो गए। इस बीच ठाकुरपुर रोड के किनारे 30 से अधिक दुकानें फिर तैयार कर दी गई हैं और अनलॉक शुरू होते ही कइयों में कारोबार भी किया जाने लगा है।

यह स्थिति तब है, जब 20 मार्च को अधिकारी यह मुनादी कर लौटे थे कि दो दिन के भीतर लोग अपने अतिक्रमण स्वयं हटा दें। अन्यथा जेसीबी से सभी अतिक्रमण ध्वस्त कर देगा। यह होश भी अधिकारियों को तब आया, जब क्षेत्रीय निवासी आकाश यादव ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दोबारा अतिक्रमण किए जाने की जानकारी दी। 

हालांकि, इधर अधिकारी कोरोना की रोकथाम के कार्यों में व्यस्त हुए और उधर अतिक्रमण ने रफ्तार पकड़ ली। गंभीर यह भी है कि पुलिस की नजर भी ऐसा करने वालों पर नहीं पड़ी। समझा जा सकता है क्यों? इस समय भी कई दुकानों पर बदस्तूर निर्माण किया जा रहा है।

अतिक्रमण टिका रहे, इसलिए पुश्ता भी घुमा दिया

सरकारी भूमि पर अतिक्रमण करने वालों पर सिस्टम की मेहरबानी इस कदर है कि ढाल के कटान के बाद जो पुश्ता खड़ा किया जा रहा है, उसे भी घुमा दिया गया। दरअसल, प्रेमनगर चौक से लेकर मजार के मोड़ तक एक पूरी ढांग थी। अतिक्रमण हटाने के बाद इस ढांग को काटकर सड़क को चौड़ा कर दिया गया था। ढांग का बाकी भाग नीचे न आए, इसके लिए इस पर पुश्ते का निर्माण किया जा रहा है। 

प्रेमनगर चौक से शुरू किया गया पुश्ता ढांग के साथ चिपककर बनाया जा रहा है। मगर, जहां ढांग से ऊपर अतिक्रमण किए जा रहे हैं, वहां से पुश्ते को बाहर की तरफ घुमा दिया गया है। ताकि, पुश्ते व ढांग के बीच के भाग की चौड़ाई अधिक हो जाए और इस चौड़ाई पर अतिक्रमण पर बनाई जा रही दुकानें महफूज भी रह सकें। यदि ढलान वाले भाग व पुश्ते के बीच अनावश्यक अंतर रखा जाएगा तो इससे पुश्ते की मजबूती भी प्रभावित होगी। क्योंकि इस अंतर में पानी भी भरता रहेगा।

ठेकेदार ने दूसरे छोर पर जेसीबी चलाई, लोगों ने किया विरोध 

अभी सड़क की चौड़ाई सिर्फ देहरादून की तरफ से बायीं तरफ वाले भाग पर बढ़ाई गई है। दायीं तरफ न्यू मिठ्ठी बेहड़ी वाले छोर पर राष्ट्रीय राजमार्ग खंड डोईवाला व आइएमए के बीच जमीन को लेकर कुछ विवाद चल रहा है। लिहाजा, इस तरफ की ढांग को अभी नहीं काटा गया।

मगर, रविवार देर रात ठेकेदार ने अचानक इस भाग पर जेसीबी लगाकर ढांग को काटना शुरू कर दिया। स्थानीय लोगों को इसका पता चल तो वह विरोध में उतर पड़े। इस ढांग के पास कुछ लोगों के भवन भी हैं। इसी कारण उन्हें अचानक इस कार्रवाई को लेकर चिंता सताने लगी। हालांकि, लोगों के विरोध के बाद काम वहीं बंद कर दिया गया।

प्रेमनगर बाजार में पुश्ते की आड़ में फिर शुरू हुआ अवैध निर्माण

पिछले साल प्रेमनगर बाजार में प्रशासन की ओर से अतिक्रमण हटाओ अभियान के दौरान अवैध दुकानों को तोड़ा गया था। लेकिन अब फिर से दुकानदारों ने अवैध निर्माण कर दुकानें खड़ी कर दी हैं। 

जल्द हटाया जाएगा अतिक्रमण 

नगर आयुक्त एवं टास्क फोर्स अध्यक्ष विनय शंकर पांडेय के मुताबिक, प्रेमनगर में बार-बार किए जा रहे अतिक्रमण और शहर के बाकी हिस्सों में अवशेष अतिक्रमण को लेकर जल्द निर्णय किया जाएगा। इस संबंध में प्रशासन का भी सहयोग लिया जाएगा।

फोटोः पूर्व में इस तरह हटाया गया था अतिक्रमण।  

कैंड बोर्ड करेगा अतिक्रमण चिह्नित   

देहरादून कैंट बोर्ड सीईओ तनु जैन के मुताबिक, कैंट बोर्ड आउटसोर्स के माध्यम से कुछ लोग तैनात करने जा रहा है। इनका काम सिर्फ अतिक्रमण व अवैध निर्माण को चिह्नित  करना होगा।

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कैंट बोर्ड बना है उदासीन

यह क्षेत्र देहरादून कैंट बोर्ड के अधीन है। अतिक्रमण व अवैध निर्माण को लेकर कैंट बोर्ड के अपने कायदे-कानून भी वैसे काफी सख्त हैं। मगर, इन्हें लागू कराने वाले भी सख्त होने चाहिए। यह बोर्ड अधिकारियों की भी लापरवाही है कि उनकी नाक के नीचे यहां बार-बार अतिक्रमण किया जा रहा है। जिस कैंट बोर्ड क्षेत्र में बिना अनुमति कच्चा निर्माण भी संभव नहीं, वहां सरकारी भूमि पर ही इस तरह के निर्माण हो रहे हैं।

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