उच्च शिखरीय क्षेत्रों में पाई जाने वाली पांच और वनस्पतियां संकटापन्न सूची में होंगी शामिल

जड़ी-बूटियों के विपुल भंडार माने वाले उत्तराखंड में तमाम वनस्पतियों का औषधीय गुण उन पर भारी पड़ रहा है। अनियंत्रित दोहन की वजह से उच्च शिखरीय क्षेत्रों में पाई जाने वाली पांच और प्रजातियां खतरे की जद में आ गई हैं।

By Sumit KumarEdited By: Publish:Tue, 27 Jul 2021 05:30 AM (IST) Updated:Tue, 27 Jul 2021 09:44 AM (IST)
उच्च शिखरीय क्षेत्रों में पाई जाने वाली पांच और वनस्पतियां संकटापन्न सूची में होंगी शामिल
जड़ी-बूटियों के विपुल भंडार माने वाले उत्तराखंड में तमाम वनस्पतियों का औषधीय गुण उन पर भारी पड़ रहा है।

राज्य ब्यूरो, देहरादून: जड़ी-बूटियों के विपुल भंडार माने वाले उत्तराखंड में तमाम वनस्पतियों का औषधीय गुण उन पर भारी पड़ रहा है। अनियंत्रित दोहन की वजह से उच्च शिखरीय क्षेत्रों में पाई जाने वाली पांच और प्रजातियां खतरे की जद में आ गई हैं। इनमें चार औषधीय महत्व की हैं, जबकि एक आर्किड की प्रजाति है। वन विभाग के अनुसंधान वृत्त ने इन वानस्पतिक प्रजातियों को भी संकटापन्न श्रेणी में शामिल करने की संस्तुति की है। इस बारे में उत्तराखंड जैव विविधता बोर्ड को प्रस्ताव भी भेज दिया गया है।

उत्तराखंड जैव विविधता बोर्ड पहले ही राज्य में पाई जाने वाली 16 वानस्पतिक प्रजातियों को संकटापन्न सूची में अधिसूचित कर चुका है। इनमें से 15 प्रजातियों को वन विभाग के अनुसंधान वृत्त ने प्रदेशभर में विभिन्न स्थानों पर नर्सरियों में संरक्षित करने में कामयाबी हासिल की है। इस बीच अनुसंधान वृत्त को कुछ ऐसी प्रजातियों का पता चला, जिन पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। मुख्य वन संरक्षक अनुसंधान वृत्त संजीव चतुर्वेदी के अनुसार पिछले तीन वर्षों के दौरान प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों के भ्रमण के दौरान बात सामने आई कि पांच वानस्पतिक प्रजातियां भी खतरे की जद में हैं। 2200 से चार हजार मीटर की ऊंचाई पर पाई जाने वाली काकोली, क्षीरकाकोली, सालम पंजा, बालछड़ी व लेडीज स्लीपर नाम वनस्पतियां मानवीय हस्तक्षेप, अनियंत्रित दोहन, इन प्रजातियों के संरक्षण की अनदेखी जैसे कारणों से विलुप्ति के कगार पर पहुंच गई हैं। इनमें लेडीज स्लीपर आर्किड है, जबकि शेष औषधीय महत्व की वनस्पतियां। उन्होंने कहा कि इन प्रजातियों के संकटापन्न श्रेणी में शामिल होने के बाद विभिन्न स्तर पर इनके संरक्षण के लिए कदम उठाए जा सकेंगे।

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उधर, उत्तराखंड जैव विविधता बोर्ड के अध्यक्ष विनोद कुमार सिंघल ने बताया कि अनुसंधान वृत्त की ओर से दिए प्रस्ताव का परीक्षण कराया जा रहा है। वृत्त ने जिन पांच वानस्पतिक प्रजातियों की संस्तुति की है, उन्हें जल्द ही संकटापन्न सूची में अधिसूचित करने की कार्रवाई की जाएगी।

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