नदी भूमि पर प्लॉटिंग की शिकायत, उत्तराखंड रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी ने बिठाई जांच

हाईकोर्ट ने नदी खाते की भूमि के श्रेणी परिवर्तन को प्रतिबंधित कर रखा है। इसके बाद भी नदी-नालों की भूमि पर कब्जे कर कहीं प्लॉटिंग की जा रही है तो कहीं भवन खड़े हो रहे हैं। ऐसे ही एक मामले में रेरा ने जांच बैठा दी है।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Tue, 01 Dec 2020 12:44 PM (IST) Updated:Tue, 01 Dec 2020 12:44 PM (IST)
नदी भूमि पर प्लॉटिंग की शिकायत, उत्तराखंड रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी ने बिठाई जांच
नदी भूमि पर प्लॉटिंग की शिकायत, उत्तराखंड रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी ने बिठाई जांच।

जागरण संवाददाता, देहरादून। हाईकोर्ट ने नदी खाते की भूमि के श्रेणी परिवर्तन को प्रतिबंधित कर रखा है। इसके बाद भी नदी-नालों की भूमि पर कब्जे कर कहीं प्लॉटिंग की जा रही है, तो कहीं भवन खड़े हो रहे हैं। ऐसे ही एक मामले में उत्तराखंड रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) ने न सिर्फ जांच बैठा दी है, बल्कि क्लेमेनटाउन कैंट बोर्ड को भी कार्रवाई करने को कहा है।

रेरा के संज्ञान में यह बात आई कि क्लेमेनटाउन कैंट बोर्ड क्षेत्र के भारूवाला में जिस प्लॉटिंग को पास किया गया है, उसमें नदी श्रेणी की भूमि पर भी कब्जा किया गया है। रेरा की ओर से कैंट बोर्ड सीईओ को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि यह प्लॉटिंग मैसर्स ईडोपेस मल्टी इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर पास की गई है। रेरा अध्यक्ष विष्णु कुमार ने कहा कि सीईओ भी अपने स्तर पर प्रकरण की छानबीन कर लें और अगर मामला सही पाया जाता है तो तत्काल प्लॉटिंग को निरस्त करने की कार्रवाई की जाए।

वहीं, इस मामले में तकनीकी अधिकारी/अधीक्षण अभियंता सर्वेश मित्तल को प्रकरण की जांच सौंपी गई है। उन्हें निर्देश दिए गए हैं कि वह प्लॉटिंग का स्थलीय निरीक्षण करा लें। साथ ही प्लॉटिंग पास करते हुए दाखिल किए गए दस्तावेजों का भी परीक्षण करा लें। ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि संबंधित भूभाग के कितने हिस्से में नदी श्रेणी के खसरा नंबर आ रहे हैं। कैंट बोर्ड व जांच अधिकारी से अपेक्षा की गई है कि वह आपसी समन्वय बनाकर जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।

रेरा में भी नहीं कराया पंजीकरण

500 वर्गमीटर से अधिक भूखंड पर प्लॉटिंग करने पर रेरा में पंजीकरण कराना जरूरी है। ताकि यहां निवेश कर रहे व्यक्तियों के हित सुरक्षित किए जा सकें। रेरा अध्यक्ष विष्णु कुमार के मुताबिक इस बात की जांच भी कराई जाएगी कि कहीं पंजीकरण से पहले भूखंडों की बिक्री तो नहीं शुरू कर दी गई। यदि ऐसा पाया गया तो जिलाधिकारी के माध्यम से यहां की जमीनों की रजिस्ट्री पर रोक लगा दी जाएगी। इसके साथ ही संबंधित फर्म के खिलाफ रेरा में अलग से वाद भी चलाया जाएगा।

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