बिजली का बिल : छोटे उपभोक्ताओं को राहत, बड़ों को छूट का मरहम
कोरोनाकाल में प्रदेश में बिजली दरों में इजाफा कर दिया गया है। हालांकि उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग (यूईआरसी) ने छोटे उपभोक्तओं को राहत देने का प्रयास किया है। इसके साथ ही उद्योगों में विद्युत उपभोग को संयमित करने पर जोर दिया गया है।
जागरण संवाददाता, देहरादून। कोरोनाकाल में प्रदेश में बिजली दरों में इजाफा कर दिया गया है। हालांकि, उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग (यूईआरसी) ने छोटे उपभोक्तओं को राहत देने का प्रयास किया है। इसके साथ ही उद्योगों में विद्युत उपभोग को संयमित करने पर जोर दिया गया है। यूईआरसी ने ऊर्जा निगमों के प्रस्ताव पर अपने स्तर से कटौती करते हुए कुल 3.54 फीसद वृद्धि की अनुमति दी है। साथ ही ऊर्जा निगमों को अपने खर्च कम कर आय के लिए ठोस व्यवस्था के तहत कार्य करने के निर्देश दिए हैं। इस सब के बीच आयोग ने विभिन्न श्रेणी के उपभोक्तओं को कैसे राहत दी, आइए डालते हैं इस पर एक नजर।
इनके लिए कोई बढ़ोतरी नहीं
कोरोना संकट को देखते हुए यूईआरसी ने कुछ श्रेणी के लिए टैरिफ में कोई बढ़ोतरी नहीं की है। इसमें सभी पांच लाख एक हजार 692 बीपीएल उपभोक्ता (ये कुल घरेलू उपभोक्ताओं का 20 फीसद हैं), घरेलू श्रेणी के 100 यूनिट उपभोग वाले 11 लाख 34 हजार 239 उपभोक्ता (ये कुल घरेलू उपभोक्ताओं का 45 फीसद हैं) शामिल हैं। इसके अलावा बर्फबारी वाले क्षेत्र के उपभोक्ताओं, अघरेलू श्रेणी के छोटे उपभोक्ताओं (जिनकी विद्युत खपत 50 यूनिट प्रतिमाह हो), 25 किलोवाट विद्युत भार तक के 10,284 एलटी उद्योग (यह संख्या कुल एलटी उद्योग उपभोक्ताओं का 75 फीसद है) को भी राहत दी गई है।
पीक आवर सरचार्ज में इजाफा नहीं
आयोग ने पीक आवर सरचार्ज में कोई वृद्धि नहीं की है। जबकि, ऑफ पीक आवर में विद्युत उपभोग को प्रोत्साहित करने के लिए ऑफ पीक आवर छूट को 15 से बढ़ाकर 20 फीसद कर दिया गया है। इसके अलावा निरंतर आपूर्ति उपभोग वाले उद्योगों को राहत देने के लिए अविरल आपूर्ति सरचार्ज को 7.5 से घटाकर पांच फीसद कर दिया गया है।
डिजिटल भुगतान को बढ़ावा
बिजली बिल का भुगतान दस दिन के भीतर डिजिटल माध्यम से करने पर उपभोक्ता को 1.25 फीसद छूट दी जाएगी। जबकि, ऑफलाइन भुगतान पर 0.75 फीसद की छूट दी जाएगी।
निगमों ने 16.20 फीसद बढ़ोतरी का दिया था प्रस्ताव
ऊर्जा निगम, जल विद्युत निगम और पिटकुल की ओर से आयोग को 16.20 फीसद बढ़ोतरी का प्रस्ताव भेजा गया था। प्रस्ताव में निगमों ने आय और व्यय के अंतर का हवाला दिया था और वित्तीय वर्ष में हुए नुकसान को दर्शाया था। ऊर्जा निगम ने पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन लिमिटेड को 305 करोड़ रुपये का भुगतान करने को भी इसका आधार बनाया था।
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