पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत ने कहा- कांग्रेस की सियासत का रुख तय, सिद्धू खुद लें फैसला

कांग्रेस हाईकमान की इस रणनीति को अंजाम देने में अहम भूमिका निभा रहे उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत ने कहा कि पार्टी पंजाब की सियासत का रुख तय कर चुकी है। अब आगे सिद्धू को खुद निर्णय करें कि उन्हें क्या करना है।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Fri, 01 Oct 2021 01:18 PM (IST) Updated:Fri, 01 Oct 2021 01:18 PM (IST)
पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत ने कहा- कांग्रेस की सियासत का रुख तय, सिद्धू खुद लें फैसला
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। पंजाब के बहाने 2022 में विभिन्न राज्यों में होने वाले चुनाव के लिए कांग्रेस ने नया सियासी ट्रेंड सेट कर दिया है। पंजाब कांग्रेस के प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू का पद से इस्तीफा भी इस ट्रेंड से पीछे हटने को पार्टी को शायद ही मजबूर कर पाए। कांग्रेस हाईकमान की इस रणनीति को अंजाम देने में अहम भूमिका निभा रहे उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत ने कहा कि पार्टी पंजाब की सियासत का रुख तय कर चुकी है। अब आगे सिद्धू को खुद निर्णय करें कि उन्हें क्या करना है।

पंजाब में कांग्रेस का घटनाक्रम राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना हुआ है। मुख्यमंत्री पद से कैप्टन  अमरिंदर सिंह को हटाने के बाद कांग्रेस अनुसूचित जाति के चरणजीत सिंह चन्नी को यह जिम्मेदारी सौंप चुकी है। इस बीच कांग्रेस की मुश्किलें बदलाव के सूत्रधार रहे पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने इस्तीफा देकर बढ़ा दी हैं। बतौर प्रदेश प्रभारी पंजाब में कांग्रेस के इस नए संकट के समाधान के लिए सक्रिय पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत इन दिनों भाजपा के भी सीधे निशाने पर हैं।

मीडिया से बातचीत में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि पंजाब का मसला पांच-छह दिन में सुलझ जाएगा। पार्टी हाईकमान ने मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और सिद्धू पर फैसला छोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला पूरे उत्तर भारत की सियासत पर असर डालेगा। इस फैसले से फिर साबित हो गया है कि अनुसूचित जाति, कमजोर और वंचित वर्गों के हित में कांग्रेस ही फैसला ले सकती है। कांग्रेस जहां मजबूत स्थिति में रही, ऐसे फैसले लिए गए। राजस्थान भी इसका उदाहरण रहा है।

पंजाब प्रकरण के परिप्रेक्ष्य में जी-23 की ओर से वरिष्ठ कांग्रेस नेता व पूर्व कैबिनेट मंत्री कपिल सिब्बल के सवाल और गुलाम नबी आजाद की मांग को हरीश रावत ने मौजूदा वक्त में गैर जरूरी करार दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पंजाब की समस्या के समाधान में जुटी है तो यह समय पार्टी पर सवाल उठाने का नहीं है। कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक बुलाने की मांग गलत नहीं है, लेकिन इस मौके पर इसे भी उचित नहीं माना जा सकता।

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर के कांग्रेस छोडऩे के संकेत देने के बारे में हरीश रावत ने कहा कि पार्टी के सामने ऐसे संकट आते रहे हैं। पार्टी इससे उबरकर और मजबूती से आगे बढ़ती रही है।

यह भी पढ़ें:- गांधी जयंती पर कांग्रेस का व्यापक जन अभियान एक से तीन अक्टूबर तक

chat bot
आपका साथी