अपराध पीड़ित सहायता योजना के तहत मुआवजे का है प्रावधान, आप भी जानें कितना मिला है फायदा
अपराध में पीड़ित को सहायता राशि का प्रावधान है लेकिन पीड़ित को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। यही कारण है कि प्रदेश में हर साल होने वाले महिला से जुड़े अपराध के करीब 2800 मामलों में से प्रतिवर्ष औसतन 35 पीड़ितों को ही सहायता मिल पाती है।
जागरण संवाददाता, देहरादून। दिल्ली में निर्भया केस के बाद महिला से जुड़े अपराध में पीड़ित को सहायता राशि का प्रावधान है, लेकिन जागरूकता के अभाव के चलते पीड़ित को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। यही कारण है कि प्रदेश में हर साल होने वाले महिला से जुड़े अपराध के करीब 2800 मामलों में से प्रतिवर्ष औसतन 35 पीड़ितों को ही सहायता मिल पाती है।
हर पीड़ित को योजना के तहत सहायता राशि मिले, इसके लिए अब थानाध्यक्षों की जिम्मेदारी तय कर दी गई है। पुलिस मुख्यालय की ओर से प्रदेश के सभी थानाध्यक्षों को पत्र भेजकर निर्देशित किया कि महिला अपराध से जुड़े मामलों में पीड़ित को 'अपराध पीड़ित सहायता योजना' के बारे में बताया जाए। ताकि उन्हें कुछ सहायता मिल सके। इसके अलावा मुख्यालय की ओर से इसका रिकार्ड भी मंगवाया जा रहा है कि प्रदेश में अब तक कितने महिला अपराध हुए और कितने अपराधों में पीड़ितों को सहायता राशि मिल पाई है। इसके अलावा मुख्यालय की ओर से सभी थानों को एक प्रारूप भी भेजा गया है, जिसमें कुल अपराध, कितने पीड़ितों को योजना के तहत राशि मिली, कितने पीड़ितों ने योजना के तहत आवेदन किया है। इसमें जानकारी भरकर देनी होगी। अपराध पीड़ित सहायता योजना 2013 में शुरू हुई थी, लेकिन जागरूकता के अभाव के चलते पीड़ितों को योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
किस अपराध में कितनी मिलती है राशि
जीवन क्षति -पांच से 10 लाख सामूहिक दुष्कर्म-पांच से 10 लाख दुष्कर्म- चार से सात लाख अप्राकृतिक यौन उत्पीड़न-चार से सात लाख किसी भी अंग अथवा शरीर की हानि- एक लाख से चार लाख जलने के कारण- दो से आठ लाख एसिड अटैक- तीन से आठ लाखयोजना के तहत वर्षवार वितरित की गई धनराशि
चार सालों में महिला उत्पीड़न के मामले वर्ष-----------मामले 2018---2866 2019---2794 2020---2822 2021---0982
नीलेश आनंद भरने (डीआइजी, अपराध एवं कानून व्यवस्था) का कहना है कि अपराध से पीड़ित को सहायता योजना में उत्तराखंड की स्थिति अन्य राज्यों के मुकाबले काफी चिंताजनक है। एफआइआर दर्ज करने से लेकर विवेचना का काम थानाध्यक्ष का होता है, इसलिए प्रदेश के सभी थानाध्यक्षों को निर्देशित किया गया है कि वह महिला अपराध से संबंधित पीड़ितों को जागरूक करें। ताकि सरकार की ओर से उनकी सहायता की जा सके।
नेहा कुशवाहा (सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण) का कहना है कि पीड़ित जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से सहायता योजना के लिए आवेदन कर सकता है। इसमें पूरी जांच करने के बाद दो महीने के अंदर मुआवजे की राशि पीड़ित के खाते में डाली जाती है। यदि कोर्ट की ओर से आदेश जारी होता है तो एक सप्ताह के अंदर ही पीड़ित को सहायता राशि मिल जाती है। प्राधिकरण के पास जो मामले आते हैं, उनका निस्तारण किया जाता है।
यह भी पढ़ें-ठंडे बस्ते में : उत्तराखंड को नहीं मिली अपने हक की बिजली
Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें