उत्तराखंड: प्रधानाचार्य-प्रधानाध्यापक पदों पर लटकीं पदोन्नति, करीब डेढ़ हजार पद पड़े हैं खाली
उत्तराखंड में प्रधानाचार्यों और प्रधानाध्यापकों की पदोन्नति के लिए शिक्षकों की वरिष्ठता का मसला सुलझने का इंतजार है। उधर वरिष्ठता को लेकर शिक्षक संगठनों में मतभेद थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। ऐसे में पदोन्नति पर असर पड़ सकता है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड में प्रधानाचार्यों और प्रधानाध्यापकों की पदोन्नति के लिए शिक्षकों की वरिष्ठता का मसला सुलझने का इंतजार है। उधर, वरिष्ठता को लेकर शिक्षक संगठनों में मतभेद थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। ऐसे में पदोन्नति पर असर पड़ सकता है।
प्रदेश में सरकारी माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाचार्यों और प्रधानाध्यापकों के करीब डेढ़ हजार पद खाली पड़े हैं। पदोन्नति के इन पदों के लिए शिक्षकों की वरिष्ठता का मसला सुलझने का इंतजार किया जा रहा है। दरअसल नियमित नियुक्त, तदर्थ विनियमित शिक्षकों के बीच लंबे अरसे से वरिष्ठता को लेकर खींचतान चल रही है। हाईकोर्ट और ट्रिब्यूनल के आदेश के बावजूद भी यह मसला उलझकर रह गया है।
इस मामले में राहत की बात ये रही कि शासन ने वरिष्ठता के मसले पर सुनवाई पूरी कर दी है। अब शिक्षा विभाग की ओर से शिक्षकों की वरिष्ठता सूची पर आपत्ति मांगी गई है। इन आपत्तियों के निस्तारण का इंतजार किया जा रहा है। इस बीच शिक्षकों में से ही सीटी संवर्ग संगठन ने वरिष्ठता पर आपत्ति जता दी है। इस संगठन का कहना है कि सीटी संवर्ग के शिक्षकों की वरिष्ठता का समाधान नहीं हो सका है।
दरअसल, सीटी संवर्ग अब मृत है। इस संवर्ग का एलटी संवर्ग में विलय हो चुका है। कई वर्ष बीतने के बाद भी इस संवर्ग के शिक्षकों की वरिष्ठता का मुद्दा सुलझ नहीं सका है। इस वजह से वरिष्ठता को लेकर चल रहे विवाद में नया मोड़ आ गया है। इस विवाद का समाधान भी नहीं हो पा रहा है। इस वजह से संगठन ने अदालत का दरवाजा खटखटाने की चेतावनी दी है। कोरोना महामारी की वजह से माध्यमिक शिक्षा निदेशालय में कामकाज ठप है।
निदेशालय के अधिकारी व कर्मचारी कोरोना संक्रमण का शिकार हो चुके हैं। इसके चलते अधिकारियों और शिक्षकों की पदोन्नति व वरिष्ठता के निर्धारण पर असर पड़ रहा है। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय का कहना है कि निदेशालय खुलते ही संबंधित अधिकारियों को शिक्षकों की समस्याओं का निराकरण करने के निर्देश दिए गए हैं।
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