आरटीई से जी चुरा रहे निजी स्कूल, दाखिले को कम होता दिख रहा अभिभावकों का रुझान

आरटीई के तहत जरूरतमंदों को दाखिला देने से निजी स्कूल जी चुराने लगे हैं। वहीं अभिभावकों का रुझान भी आरटीई के तहत होने वाले दाखिले के लिए कम होता दिख रहा है।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Fri, 21 Feb 2020 07:31 PM (IST) Updated:Fri, 21 Feb 2020 07:31 PM (IST)
आरटीई से जी चुरा रहे निजी स्कूल, दाखिले को कम होता दिख रहा अभिभावकों का रुझान
आरटीई से जी चुरा रहे निजी स्कूल, दाखिले को कम होता दिख रहा अभिभावकों का रुझान

देहरादून, जेएनएन। शिक्षा के अधिकार (आरटीई) के तहत जरूरतमंदों को दाखिला देने से निजी स्कूल जी चुराने लगे हैं। वहीं अभिभावकों का रुझान भी आरटीई के तहत होने वाले दाखिले के लिए कम होता दिख रहा है। इसका मुख्य कारण यह है कि जिन स्कूलों में अभिभावक बच्चों का प्रवेश दिलाने चाहते हैं वे आरटीई से पंजीकृत ही नहीं है। स्थिति यह है कि प्रदेशभर में पिछले साल की तुलना में इस साल लगभग 878 स्कूलों ने आरटीई के लिए आवेदन ही नहीं किया। अकेले देहरादून में इस साल 320 स्कूलों ने पंजीकरण नहीं करवाया है। 

समग्र शिक्षा अभियान और शिक्षा विभाग के नियमों के अनुसार आरटीई के तहत निजी स्कूलों की 25 फीसद सीटों पर गरीब और आरक्षित वर्ग के छात्रों को दाखिला देने का प्रावधान है। इस साल प्रदेश के छह जिलों में ऑनलाइन और सात जिलों में ऑफलाइन मोड पर छात्रों के आवेदन लिए जा रहे हैं। स्कूलों के पंजीकरण के लिए पोर्टल पिछले हफ्ते बंद हो चुके हैं। इस दफा प्रदेश के आरटीई के पोर्टल पर 2557 स्कूलों ने आवेदन किया जिसमें से 2489 स्कूलों को आरटीई में प्रवेश देने के लिए मान्यता मिली है। जबकि पिछले साल 3367 स्कूल को मान्यता मिली थी। वहीं, 8017 बच्चों ने आरटीई के तहत दाखिला लिया था। 

अभिभावक और छात्रों का हो रहा मोह भंग 

नेशनल एसोसिएशन फॉर पेरेंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स के अध्यक्ष आरिफ खान ने बताया कि कई नामी स्कूल हैं, जिनमें अभिभावक आरटीई के तहत बच्चों को दाखिला करना चाहते हैं, लेकिन ये स्कूल आरटीई के लिए पंजीकृत नहीं हैं। साथ ही इसके दाखिल के लिए अनिवार्य दस्तावेज बनाने और जमा करने में भी अभिभावकों के पसीने छूट रहे है। जिससे अभिभावकों और बच्चों का आटीई के प्रवेश से मोह भंग हो रहा है। उन्होंने बताया कि आरटीई के लिए अधिकांश निजी स्कूल पंजीकरण कराने से बच रहे हैं ऐसे स्कूलों को विभाग केवल नोटिस देकर खानापूर्ति कर रहा है। कड़ी कार्रवाई नहीं करता जिससे निजी स्कूल की मनमानी जारी है। 

आवेदन की अंतिम तिथि एक मार्च 

आरटीई के तहत स्कूलों में दाखिला लेने के लिए अंतिम तिथि एक मार्च तक बढ़ा दी गई है। पहले 26 फरवरी को अंतिम तिथि निर्धारित की गई थी। देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल, चमोली, ऊधमसिंहनगर और अल्मोड़ा में ऑनलाइन माध्यम से आवेदन की प्रक्रिया चल रही है। वहीं बाकी सात जिलों में प्रक्रिया ऑफलाइन चल रही है। आवेदन के बाद 15 मार्च तक छात्रों के आवेदन पत्रों की जांच होगी। विद्यालयों में प्रवेश के लिए लॉटरी 20 मार्च को खुलेगी। 21 मार्च को लॉटरी सार्वजनिक की जाएगी। आरटीई आवेदन और दाखिले के लिए छात्र का जन्म प्रमाण पत्र, आवास प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, मेडिकल प्रमाण पत्र, आवेदन कर रहे बच्चे की उम्र 3 से 6 साल के बीच होनी चाहिए। 

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आरटीई प्रभारी देहरादून राकेश उनियाल ने बताया कि पिछले साल 973 स्कूलों ने आरटीई के लिए पंजीकरण करवाया था। इस साल 653 स्कूलों ने ही पंजीकरण करवाया है। कुछ स्कूल अल्पसंख्यक श्रेणी में पंजीकृत होने के कारण भी आरटीई के लिए आवेदन नहीं करते। अन्य स्कूल जो आरटीई के लिए पंजीकरण से बच रहे है उनका कारण बताओ नोटिस भेजा जाएगा। 

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समग्र शिक्षा अभियान के अपर राज्य परियोजना निदेशक मुकुल सती का कहना है कि आरटीई के तहत स्कूलों के पंजीकरण की संख्या घटी है। स्कूल पंजीकरण क्यों नहीं करवा रहे इसका कारण पता किया जाएगा। मनमानी कर रहे स्कूलों पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। 

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