Coronavirus Outbreak: अशासकीय स्कूलों में आक्रोश, कहा- स्वच्छता बजट उपलब्ध करवाए विभाग

दो नवंबर से सरकारी और निजी स्कूल खुलने जा रहे हैं। स्कूलों को खोलने से पहले और खुलने के बाद भी परिसर में स्वच्छता के साथ ही सैनिटाइजेशन अनिवार्य किया गया है। इसके लिए सरकारी स्कूलों को बाकायदा बजट जारी किया गया है।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Wed, 28 Oct 2020 07:01 PM (IST) Updated:Wed, 28 Oct 2020 07:01 PM (IST)
Coronavirus Outbreak: अशासकीय स्कूलों में आक्रोश, कहा- स्वच्छता बजट उपलब्ध करवाए विभाग
अशासकीय स्कूलों को स्वच्छता बजट उपलब्ध करवाए विभाग।

देहरादून, जेएनएन। प्रदेश में दो नवंबर से सरकारी और निजी स्कूल खुलने जा रहे हैं। स्कूलों को खोलने से पहले और खुलने के बाद भी परिसर में स्वच्छता के साथ ही सैनिटाइजेशन अनिवार्य किया गया है। इसके लिए सरकारी स्कूलों को बाकायदा बजट जारी किया गया है, लेकिन सहायता प्राप्त अशासकीय स्कूलों के लिए अब तक कोई बजट जारी नहीं होने से अशासकीय स्कूलों में रोष व्याप्त है। अशासकीय स्कूलों के शिक्षक और प्रधानाचार्य ने सचिव शिक्षा आर मीनाक्षी सुंदरम को पत्र लिखकर अशासकीय स्कूलों के लिए भी स्वच्छता बजट जारी करने की मांग की है।

उत्तरांचल प्रधानाचार्य परिषद के प्रदेश महासचिव एके कौशिक ने बुधवार को शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम को पत्र लिखकर अशासकीय स्कूलों के लिए कोरोना संक्रमण बचाव के लिहाज से कोई भी बजट जारी न करने पर रोष जताया। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग द्वारा राजकीय स्कूलों के लिए करोड़ों में बजट जारी किया गया है, लेकिन बजट में अशासकीय स्कूलों का कोई भी जिक्र नहीं है। 

उनका कहना है कि अशासकीय स्कूलों को कई दफा ऐसा सौतेला व्यवहार  झेलना पड़ता है, जो न्याय संगत नहीं। उन्होंने शिक्षा सचिव से मामले का जल्द संज्ञान लेते हुए अशासकीय स्कूलों के लिए भी सैनिटाइजेशन, स्वच्छता और कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए अन्य व्यवस्थाएं बनाने को शिक्षा विभाग द्वारा बजट जारी किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि इस साल बच्चों से फीस तक नहीं ली गई, जिससे यह व्यवस्थाएं बनाई जा सकें। 

अपने लिखे पत्र में कौशिक ने अशासकीय स्कूलों के शिक्षक और कर्मचारियों को दो महीनों से वेतन जारी न होने पर भी रोष जताया है। उन्होंने कहा कि अशासकीय स्कूलों के शिक्षक और कर्मचारी त्योहार के मौके पर अपने वेतन के लिए तरस रहे हैं। राज्य में हर दो महीने बाद अशासकीय स्कूलों के लिए ऐसी स्थिति बनना विडंबना की बात है।

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