निजी स्कूलों ने बाल आयोग पर लगाया मनमानी का आरोप

निजी स्कूल संचालकों ने बाल आयोग पर मनमानी का आरोप लगाया है। स्कूलों का कहना है कि आयोग अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर काम कर रहा है। इससे स्कूलों की कार्यप्रणाली में व्यवधान पड़ रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 21 Feb 2020 06:55 PM (IST) Updated:Fri, 21 Feb 2020 06:55 PM (IST)
निजी स्कूलों ने बाल आयोग पर लगाया मनमानी का आरोप
निजी स्कूलों ने बाल आयोग पर लगाया मनमानी का आरोप

जागरण संवाददाता, देहरादून: निजी स्कूल संचालकों ने बाल आयोग पर मनमानी का आरोप लगाया है। स्कूलों का कहना है कि आयोग अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर काम कर रहा है। इससे स्कूलों की कार्यप्रणाली में व्यवधान पड़ रहा है। साथ ही अभिभावक भी भ्रमित हो रहे हैं। निजी स्कूलों ने आयोग से अपने कार्यक्षेत्र में काम करने की अपील की।

शुक्रवार को प्रेस क्लब में यूनाइटेड फोरम फॉर अनएडेड स्कूल और प्रिंसिपल प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने पत्रकारों से वार्ता के दौरान बाल आयोग पर अधिकार क्षेत्र से बाहर काम करने के आरोप लगाए। एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम कश्यप ने कहा कि आरटीई के तहत दाखिला लेने वाले छात्रों के अभिभावकों से हर छह महीने में आय प्रमाण पत्र जांचने का नियम हैं। लेकिन हाल ही में एक स्कूल पर आय प्रमाण पत्र मांगने पर बाल आयोग अध्यक्ष ऊषा नेगी ने कार्रवाई का नोटिस जारी किया। ऐसे ही एक स्कूल में तीन भाई-बहनों के पढ़ाई करने पर केवल एक ही बच्चे पर फीस लेने के आदेश आयोग ने दिए। जबकि ऐसा कोई नियम ही नहीं हैं। कश्यप ने कहा कि ऐसे और भी कई मामले हैं जहां आयोग शिक्षा विभाग के नियमों के बाहर अपनी मनमानी से आदेश दे रहा है। एसोसिएशन के उपाध्यक्ष डीएस मान ने आरोप लगाया कि आयोग की आड़ में अध्यक्ष के निजी सचिव आयोग की शक्तियों का प्रयोग अवैधानिक रूप से कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आयोग अध्यक्ष कोर्ट में विचाराधीन जमीनों के मसले सुलझाने, स्कूलों की सोसायटी के इनकम टैक्स रिटर्न जाचने आदि का काम कर रही है साथ ही एक ही परिवार के एक से ज्यादा बच्चों से फीस न लेने का दबाव बना रही हैं। एसोसिएशन ने आयोग अध्यक्ष से सुप्रीम कोर्ट और प्रदेश सरकार की गाइडलाइन के बाहर काम न करने की अपील की। एसोसिएशन ने कहा कि अगर आयोग अध्यक्ष ने अधिकारों का दुरुपयोग बंद नहीं किया तो भविष्य में कोई भी स्कूल आयोग से किसी भी माध्यम से न तो पत्राचार करेगा और न ही अपना प्रतिनिधि भेजेगा। उधर, बाल आयोग अध्यक्ष ऊषा नेगी ने निजी स्कूलों के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि बाल आयोग केवल सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालय के दिए गए अधिकारों के दायरे में ही कार्रवाई करता है। कोई भी आदेश देने या फैसला सुनाने से पहले संबंधित पक्षों को भी सुना जाता है। अगर कोई स्कूल किसी आदेश या निर्णय से असंतुष्ट है तो न्यायालय में जाकर अपील कर सकता है। पत्रकार वार्ता में मदन जीत सिंह, एचके छाबड़ा और मेजर जनरल शमी सब्बरवाल मौजूद थे।

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