उत्तराखंड के जेलों में बंद कैदियों को सिखाए जाएंगे आत्मनिर्भरता के गुर
प्रदेश की जेलों में बंद कैदियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जेल प्रबंधन ने उन्हें आत्मनिर्भरता के गुर सिखाने जा रहा है। पहले चरण में चार जेलों में बंद 200 कैदियों का चयन किया गया है। इन्हें चार से छह महीनों की ट्रेनिंग दी जाएगी।
सोबन सिंह गुसांई, देहरादून। प्रदेश की जेलों में बंद कैदियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जेल प्रबंधन ने उन्हें आत्मनिर्भरता के गुर सिखाने जा रहा है। पहले चरण में चार जेलों में बंद 200 कैदियों का चयन किया गया है। इन्हें चार से छह महीनों की ट्रेनिंग दी जाएगी, ताकि जेल से छूटने के बाद वह अपराध को छोड़ आत्मनिर्भर बन सकें।
देखने में आया है कि कई कैदी सजा पूरी करने के बाद जब जेलों से छूटते हैं तो दोबारा अपराध की दुनिया में पैर रखते हैं। इससे उनका व उनके स्वजनों का जीवन संकट में पड़ जाता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए जेल प्रबंधन ने यह कदम उठाया है कि यदि जेलों में बंद कैदियों को जेल के अंदर ही आत्मनिर्भर होने के गुर सिखाए जाएं तो बाहर आकर वह अपना काम शुरू कर सकते हैं। इससे जहां वह जिंदगी की मुख्यधारा में लौट सकेंगे वहीं दोबारा अपराध की दुनिया में कदम नहीं रखेंगे।
पहले चरण में प्रदेश के चार जेलों उधमसिंहनगर, चंपावत, पिथौरागढ़ व बागेश्वर जेल में बंद 200 कैदियों को कौशल विकास की सिखलाई दी जाएगी। इन जेलों में ट्रेनिंग प्रोग्राम संपन्न होने के बाद अन्य जेलों में यह कार्यक्रम शुरू किया जाएगा। ट्रेनिंग प्रोग्राम में उन कैदियों को शामिल किया गया है, जिनका जेल में आचरण अच्छा रहा हो व उनकी आठ से 10 महीने में सजा खत्म होने वाली होगी।
ट्रेनिंग के लिए चयनित किए गए कैदियों को कारपेंटर, बागवानी, किसानी व सिलाई की सिखलाई देने की योजना बनाई गई है। इस ग्रुप का ट्रेनिंग प्रोग्राम खत्म होने के बाद दूसरे ग्रुप को अन्य के बारे में सिखलाई दी जाएगी। आर्ट आफ लीविंग की ओर से कैदियों को ट्रेनिंग निशुल्क दी जाएगी।
अंशुमान (आइजी जेल, उत्तराखंड) का कहना है कि प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत जेलों में बंद कैदियों को आत्मनिर्भर बनाने की योजना बनाई गई है। इसका उद्देश्य सिर्फ यही है कि जेल से छूटने पर कैदी दोबारा अपराध की दुनिया में न जाकर जिंदगी की मुख्यधारा से जुड़ सकें। पहले चरण में चार जेलों में बंद 200 कैदियों का चयन किया गया है।
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