राज्य की जेलों में क्षमता से दोगुने कैदी, निगरानी के नाम पर वरिष्ठ से लेकर कनिष्ठ तक के अधिकतर पद खाली

प्रदेश में जेलों की स्थिति बेहद चिंताजनक है। हाल यह है कि जेलों में क्षमता से दोगुने कैदी भरे हुए हैं लेकिन निगरानी के नाम पर अधिकतर पद खाली पड़े हैं। ऐसे में जेलों के अंदर से भी कुख्यात गैंग बनाकर हत्या तक की सुपारी ले रहे हैं।

By Sumit KumarEdited By: Publish:Sat, 27 Nov 2021 03:52 PM (IST) Updated:Sat, 27 Nov 2021 03:52 PM (IST)
राज्य की जेलों में क्षमता से दोगुने कैदी, निगरानी के नाम पर वरिष्ठ से लेकर कनिष्ठ तक के अधिकतर पद खाली
प्रदेश में जेलों की स्थिति बेहद चिंताजनक है।

सोबन सिंह गुसांई, देहरादून: प्रदेश में जेलों की स्थिति बेहद चिंताजनक है। हाल यह है कि जेलों में क्षमता से दोगुने कैदी भरे हुए हैं, लेकिन निगरानी के नाम पर वरिष्ठ से लेकर कनिष्ठ तक के अधिकतर पद खाली पड़े हैं। ऐसे में जेलों के अंदर से भी कुख्यात गैंग बनाकर हत्या तक की सुपारी ले रहे हैं।

प्रदेश में वर्तमान में 11 जेल और दो उप जेल हैं। देहरादून, रुड़की, सितारगंज, हरिद्वार, अल्मोड़ा और पौड़ी जेलों में नामी बदमाश बंद हैं। इन जेलों में कैदियों की रखने की क्षमता 3540 है, लेकिन नई जेल का निर्माण न होने के कारण इन्हीं जेलों में करीब 6700 कैदी रखे हुए हैं। इनमें कुख्यात गैंगस्टर से लेकर चोरी के केस में सजायाफ्ता कैदियों को एक साथ ही रखा हुआ है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुख्यात जेलों में बैठकर हत्या की सुपारी, रंगदारी और नशा तस्करी जैसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं।

आठ जेलों में सीसीटीवी कैमरे ही नहीं

राज्य सरकार जेलों को अत्याधुनिक बनाने की बात कर रही है, लेकिन 11 जेलों में से आठ जेलों में सीसीटीवी कैमरे तक नहीं लगाए गए हैं। इससे समझा जा सकता है कि जेलों में बंद कैदियों पर किस तरह से नजर रखी जा रही है। जेलों में जैमर लगाने के लिए प्रस्ताव कई बार शासन को भेजा जा चुका है, लेकिन अब तक इस पर भी कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पाई है। जेलों में जैमर लगाए जाएं तभी मोबाइल फोन के इस्तेमाल को रोका जा सकता है। कुछ जेलों में जैमर तो लगे हैं, लेकिन वह केवल थ्री जी नेटवर्क ही रोक पा रहे हैं। फोर जी व फाइव जी सिम वाले मोबाइल फोन के नेटवर्क रोकने में नाकाम हैं।

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पांच जेलों में ही हैं जेल अधीक्षक

स्टाफ की बात करें तो प्रदेश की सिर्फ पांच जेलों में ही जेल अधीक्षक के पद भरे गए हैं। इसके अलावा छह जेलों में जेलर, डिप्टी जेलर या अन्य स्टाफ के ऊपर कैदियों की रखवाली का जिम्मा है। यहां जेलर व डिप्टी जेलरों की संख्या भी ना के बराबर है। दो जेलों में जेलर और तीन जेलों में डिप्टी जेलर हैं।

आइजी जेल पुष्पक ज्योति का कहना है कि जेल अधीक्षक से लेकर बंदीरक्षक के 300 पद भरने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। स्टाफ की कमी के कारण जेलों में चेकिंग अच्छी तरह से नहीं हो पा रही है। जिन जेलों में सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे हैं, वहां पर कैमरे लगाने के लिए भी प्रस्ताव भेजा गया है। धनराशि मिलने के बाद ही यह काम हो सकेंगे।

अल्मोड़ा जेल प्रकरण की जांच हल्द्वानी जेल अधीक्षक को सौंपी

अल्मोड़ा जेल से नशा तस्करी करवाने और दो कैदियों से मोबाइल व नकदी बरामद होने के मामले में आइजी जेल पुष्पक ज्योति ने जांच हल्द्वानी जेल अधीक्षक को सौंप दी है। वहीं, पौड़ी जेल से रंगदारी व हत्या की सुपारी लेने के मामले में 15 दिन बाद भी जांच रिपोर्ट आइजी जेल को नहीं मिल पाई है।

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