दून महिला अस्पताल में गर्भवती महिलाओं को बेड तक नहीं मयस्सर, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून के दून महिला अस्पताल में गर्भवती महिलाओं को बेड तक नहीं मिल रहे हैं। स्थिति ये है कि अस्‍पताल में एक बेड पर दो-दो महिलाओं को लिटाया जा रहा है। एक बिस्तर पर नवजात शिशुओं के साथ दो-दो महिलाएं होने से वे करवट भी नहीं ले पातीं।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Mon, 18 Oct 2021 11:15 AM (IST) Updated:Mon, 18 Oct 2021 11:15 AM (IST)
दून महिला अस्पताल में गर्भवती महिलाओं को बेड तक नहीं मयस्सर, पढ़िए पूरी खबर
महिला दून अस्पताल में एक बैड पर बैठी दो प्रसुता व उनके परिजन। जागरण

जागरण संवाददाता, देहरादून। राज्य में स्वास्थ्य के मोर्चे पर सरकार विभिन्न सुधारात्मक कदम जरूर उठा रही है, पर हालात अभी भी बदले नहीं हैं। स्थिति ये है कि दून महिला अस्पताल में गर्भवती महिलाओं को बेड तक नसीब नहीं हो रहे हैं। हद तो ये है कि अस्पताल में एक बेड पर दो मरीज तक भर्ती करने पड़ रहे हैं।

महिला को गर्भावस्था के दौरान देखभाल की जरूरत होती ही है। प्रसव के बाद भी उसे काफी संभलकर रहना पड़ता है। प्रसव के बाद संक्रमण होने का खतरा बहुत ज्यादा रहता है। मगर प्रदेश के सबसे बड़े चिकित्सालय दून मेडिकल कालेज की महिला विंग दून महिला चिकित्सालय में स्वास्थ्य सेवाओं का असल चेहरा दिखाई पड़ता है। यहां बेड तक के लिए मारामारी मची है। स्थिति ये है कि एक बेड पर दो-दो महिलाओं को लिटाया जा रहा है। नवजात शिशुओं के साथ एक बिस्तर पर दो-दो महिलाएं होने से वह करवट भी नहीं ले पातीं। तीमारदार भी परेशान हैं कि उनके परिवार की महिला को प्रसव के बाद अन्य किसी रोग का सामना न करना पड़ जाए।

गांधी शताब्दी अस्पताल का भी यही हाल

गांधी शताब्दी अस्पताल में भी कमोबेश यही स्थिति है। यहां पर रोजाना औसतन 10 से 15 सामान्य एवं चार से सात सिजेरियन प्रसव हो रहे हैं। शाम के बाद यहां पर गर्भवतियों को भर्ती करना मुश्किल हो जाता है, क्योंकि बेड फुल हो जाते हैं। आइसीयू, निक्कू वार्ड शुरू नहीं होने से गंभीर गर्भवतियों को यहां भर्ती ही नहीं किया जाता। आइसीयू के लिए चिकित्सक व स्टाफ नहीं है और निक्कू का काम अधर में है।

डा. आशुतोष सयाना (प्राचार्य दून मेडिकल कालेज अस्पताल) का कहना है कि महिला अस्पताल में करीब 100 बेड हैं। जिनमें 15-20 बेड कोरोना के कारण आरक्षित रखे गए हैं। यहां मरीजों को कोरोना जांच रिपोर्ट आने तक रखा जाता है। पिछले कुछ वक्त से लोड बढ़ा है। नए ओटी ब्लाक का काम अगले माह तक पूरा हो जाएगा। इसमें भी गायनी के कुछ बेड शुरू किए जाएंगे।

डा. शिखा जंगपांगी (प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक गांधी शताब्दी अस्पताल) का कहना है कि यहां औसतन हर दिन 10-15 सामान्य और चार से सात सिजेरियन प्रसव होते हैं। आइसीयू के स्टाफ के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। वहीं, निक्कू का संचालन भी जल्द शुरू करने का प्रयास किया जा रहा है।

क्या कहते हैं लोग

केस-एक: चमोली निवासी नवीन की पत्नी आठ माह की गर्भवती हैं। तबीयत बिगडऩे पर चिकित्सक ने प्रीमैच्योर डिलीवरी की बात कही। नवीन उन्हें श्रीनगर बेस अस्पताल लाए, पर मामला क्रिटिकल बता देहरादून रेफर कर दिया गया। शनिवार रात करीब आठ बजे वह दून महिला अस्पताल पहुंचे। पता चला कि यहां बेड ही खाली नहीं है। बाद में प्राचार्य के हस्तक्षेप पर रात 11 बजे बेड की व्यवस्था हुई। केस-दो : भगत सिंह कालोनी निवासी रिजवाना की डिलिवरी होनी थी। बताया गया कि उनकी सिजेरियन डिविलरी होनी है। जिस पर स्वजन शनिवार रात उन्हें दून महिला अस्पताल लाए थे, लेकिन वहां बेड ही खाली नहीं थे। काफी मशक्कत के बाद भी बेड नहीं मिला तो वह उसे निजी अस्पताल ले गए।

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