पीआरडी कर्मियों की समस्या का नहीं निकाला समाधान, अब सड़क पर करेंगे आंदोलन
कोरोनाकाल में पीआरडी के माध्यम से दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में तैनात कर्मचारियों के तेवर तल्ख होते जा रहे हैं। उनका कहना है कि महामारी के दौरान किए कार्यों का अस्पताल प्रशासन मोल नहीं समझ रहा। कोरोना योद्धा का तमगा देकर उन्हें अब नौकरी से निकाला जा रहा है।
जागरण संवाददाता, देहरादून। कोरोनाकाल में पीआरडी के माध्यम से दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में तैनात कर्मचारियों के तेवर तल्ख होते जा रहे हैं। उनका कहना है कि महामारी के दौरान किए कार्यों का अस्पताल प्रशासन मोल नहीं समझ रहा। कोरोना योद्धा का तमगा देकर उन्हें अब नौकरी से निकाला जा रहा है। आठ दिन धरना-प्रदर्शन के बाद भी अधिकारी उनकी समस्या का समाधान नहीं निकाल पाए हैं। ऐसे में अब वह सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगे।
दरअसल, कोरोनाकाल में अस्पताल में उपनल और पीआरडी के माध्यम से नॄर्सिंग व अन्य स्टाफ रखा गया था। जिनकी सेवाएं अब समाप्त की जा रही हैं। सेवा समाप्त करने के विरोध में ये लोग पिछले आठ दिन से हड़ताल पर हैं। इनमें से लगभग 250 कर्मचारियों की सेवा रविवार को समाप्त हो चुकी है। जबकि करीब 100 से अधिक कर्मचारियों की सेवाएं 31 मार्च को समाप्त कर दी जाएंगी। वहीं, प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना का कहना है कि इस विषय में शासन को पत्र भेजा गया था। कर्मचारियों की सेवा विस्तार के संबंध में फैसला शासन ही ले सकता है। हड़ताल को देखते हुए वैकल्पिक इंतजाम किए जा रहे हैं।
पुराने सफाई कर्मियों को मनाया अब नए नाराज
दून मेडिकल कॉलेज प्रशासन एक मुसीबत से पार पाता है, तो दूसरी खड़ी हो जाती है। यही सोमवार को भी हुआ। पुराने सफाई कर्मियों को मनाया तो अब नए सफाई कर्मी तेवर दिखाने लगे हैं। उन्होंने सफाई व्यवस्था ठप करने की चेतावनी दी है।
अस्पताल में कई साल से उपनल के माध्यम से काम कर रहे सफाई कर्मचारी ठेकेदारी प्रथा के विरोध में हैं। उन्होंने सोमवार से हड़ताल का अल्टीमेटम दिया था। सुबह सात से दस बजे तक उन्होंने कार्य नहीं किया। मुख्य प्रशासनिक अधिकारी अशोक राज उनियाल से वार्ता के बाद उन्होंने हड़ताल वापस ले ली। उन्हें आश्वासन दिया गया कि उनकी फाइल शासन को भेज दी गई है और 31 मार्च तक उनका अनुबंध बढ़ा दिया गया है। सफाई कर्मचारियों का कहना है कि एक माह अनुबंध बढ़ाया गया है, यदि आने वाले समय में पूरे साल का अनुबंध नहीं बढ़ा तो आंदोलन को मजबूर होंगे। इधर, कोरोनाकाल में तैनात किए गए सफाई कर्मचारियों ने भी मोर्चा खोल दिया है। उनका कहना है कि महामारी के दौरान उन्होंने पूरी ईमानदारी से काम किया। अब जब कोरोना कम हो गया है तो उन्हें बिना नोटिस हटाया जा रहा है।
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