भाग्य बदलने वाली शक्ति है गोमाता

गाय के गोबर से बने गणेश को विसर्जित करने से पर्यावरण और नदियां प्रदूषित नहीं होंगी।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 12 Sep 2018 08:06 PM (IST) Updated:Wed, 12 Sep 2018 08:06 PM (IST)
भाग्य बदलने वाली शक्ति है गोमाता
भाग्य बदलने वाली शक्ति है गोमाता

जागरण संवाददाता, देहरादून : पूरे देश में गणेश उत्सव की तैयारियां जोरों पर है। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि हम इस महापर्व के असली स्वरूप से अनभिज्ञ हैं। केवल गणेश ही ऐसे देवता हैं, जिसे हमेशा से गाय के गोबर से स्थापित कर पूजा जाता है। गोबर में गणेश बिना मंत्रोच्चारण के ही स्वयं प्राण प्रतिष्ठित हो जाते हैं। यह बात परेड ग्राउंड में धेनुमानस गो कथा के तीसरे दिन गो क्रांति अग्रदूत संत गोपाल मणि महाराज ने कही।

बुधवार को आयोजित कथा में उन्होंने कहा कि गाय के गोबर का जितना महत्व आध्यात्मिक है, उतना ही वैज्ञानिक भी है। गोबर से बने गणेश को विसर्जित करने से पर्यावरण और नदियां प्रदूषित नहीं होंगी। उन्होंने कहा कि गो माता में भाग्य बदलने वाली शक्ति है। इससे पूर्व आचार्य सीताशरण महाराज ने गो की महिमा का बखान किया। उन्होंने कहा कि आमतौर पर संध्या का समय अशुभ माना जाता है। लेकिन गोमाता के चरणों की रज धूल से यह अशुभ वेला भी पवित्र हो जाती है। उन्होंने भागवत के प्रसंग का जिक्र करते हुए कहा कि भगवान कृष्ण केवल गोमूत्र से ही स्नान करते थे और केवल गोमाता के चरणों की रज का ही तिलक लगाते थे। यहीं से तिलक लगाने की परंपरा शुरू हुई थी। उन्होंने कहा कि गो चरणों की रज व्यक्ति के माथे पर लिखे बुरे से बुरे भाग्य को भी बदल देती है। इस मौके पर गोपाल मणि महाराज ने गोभक्तों को गोबर से बनाए 11 सौ गणेश बांटे। उन्होंने कहा गाय हमारे भविष्य की पीढ़ी है। क्योंकि गाय का अगला जन्म मनुष्य होता है। कथा श्रवण करने वालों में भाजपा नेता सुनील उनियाल गामा, दिलबर सिंह रावत, मनोहर लाल जुयाल, सुभाष शर्मा, अजयपाल सिंह रावत आदि मौजूद थे।

chat bot
आपका साथी