उत्‍तराखंड : आर्बिट्रेशन मामलों में प्रभावी पैरवी करेंगे ऊर्जा के निगम

ऊर्जा के निगमों में भविष्य में आर्बिट्रेशन के मामलों में मजबूत और पूरी तैयारी के साथ पैरोकारी करेंगे। अंतरराष्‍ट्रीय आर्बिट्रेशन संबंधी मामले में विदेशी कंपनी मैसर्स कोबरा के खिलाफ मिली कामयाबी से सरकार और निगम दोनों उत्साहित हैं।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Fri, 25 Jun 2021 04:40 PM (IST) Updated:Fri, 25 Jun 2021 04:40 PM (IST)
उत्‍तराखंड : आर्बिट्रेशन मामलों में प्रभावी पैरवी करेंगे ऊर्जा के निगम
ऊर्जा के निगमों में भविष्य में आर्बिट्रेशन के मामलों में मजबूत और पूरी तैयारी के साथ पैरोकारी करेंगे।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। ऊर्जा के निगमों में भविष्य में आर्बिट्रेशन के मामलों में मजबूत और पूरी तैयारी के साथ पैरोकारी करेंगे। अंतरराष्‍ट्रीय आर्बिट्रेशन संबंधी मामले में विदेशी कंपनी मैसर्स कोबरा के खिलाफ मिली कामयाबी से सरकार और निगम दोनों उत्साहित हैं। ऊर्जा सचिव राधिका झा ने कहा कि ऊर्जा निगमों के आला अधिकारियों को इस मामले को भविष्य के लिए नजीर के तौर पर लेने को कहा गया है।

दरअसल, उत्तराखंड विद्युत पारेषण निगम (पिटकुल) ने अंतरराष्‍ट्रीय निविदा के माध्यम से 400 केवी श्रीनगर-काशीपुर पारेषण लाइन के निर्माण के लिए बीती 24 दिसंबर, 2013 को 530.62 करोड़ का अनुबंध स्पेन की कंपनी मैसर्स कोबरा के साथ किया था। अनुबंध की शर्तों के मुताबिक मैसर्स कोबरा ने 10 फीसद यानी 106.125 करोड़ की अग्रिम मोबलाइजेशन बैंक गारंटी जमा की। यह फर्म निर्माण कार्य में विफल रही तो पिटकुल ने उक्त बैंक गारंटी जब्त कर निविदा को निरस्त कर दिया।

ऊर्जा सचिव ने बताया कि पिटकुल की इस कार्यवाही के खिलाफ फर्म ने आर्बिट्रेशन के प्रविधान का इस्तेमाल किया। न्यायाधीश टीएस ठाकुर, न्यायाधीश आरवी रविंद्रन एवं न्यायाधीश वीके बाली ने मामले की सुनवाई की। कुल 38 तारीखों में सुनवाई और गवाहों के क्रास परीक्षण के बाद आर्बिट्रेशन के निर्णय के मुताबिक पिटकुल के अनुबंध निरस्तीकरण को सही माना गया। पिटकुल को 106.125 करोड़ में से 89.10 करोड़ देने का निर्णय पारित किया गया। 17.02 करोड़ को मैसर्स कोबरा को देने का आदेश है।

ऊर्जा सचिव ने कहा कि यह पिटकुल के लिए बड़ी सफलता है। इस प्रकरण के निपटारे की कामयाबी के लिए उन्होंने अधिवक्ताओं के साथ ही पिटकुल के अधिकारियों व कर्मचारियों की पूरी टीम को श्रेय दिया, साथ ही उनके कार्य को सराहा। उन्होंने कहा कि आर्बिट्रेशन के मामलों में विभागीय अधिकारियों की सार्थक पैरोकारी और सही तथ्यों का प्रस्तुतीकरण बेहद जरूरी है। ऐसा होने पर परिणाम निश्चित रूप से सरकार के हित में ही आएंगे।

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