पोषण ट्रैकर एप से आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता परेशान, न हिंदी कर रहा सपोर्ट न पूरे आंकड़े हो रहे अपलोड
उत्तराखंड में आंगनबाड़ी कार्यकत्ताओं के लिए नया पोषण ट्रैकर मोबाइल एप परेशानी का सबब बना हुआ है। यह एप न तो हिंदी भाषा सपोर्ट कर रहा है और न ही इस पर एक समय में पूरे आंकड़े अपलोड हो पा रहे हैं।
जागरण संवाददाता, देहरादून। आंगनबाड़ी कार्यकत्ताओं के लिए नया पोषण ट्रैकर मोबाइल एप परेशानी का सबब बना हुआ है। यह एप न तो हिंदी भाषा सपोर्ट कर रहा है और न ही इस पर एक समय में पूरे आंकड़े अपलोड हो पा रहे हैं। कार्यकर्त्ता इस बारे में विभाग को अवगत करा चुके हैं इसके बावजूद भी दिक्कतें जारी हैं।
उत्तराखंड में तकरीबन 40 हजार आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता और सहायिका कार्यरत हैं। मार्च से पहले तक सभी कार्यकर्त्ता कोम केयर एप के माध्यम से सर्वे, राशन वितरण, बच्चे के जन्म आदि का आंकड़ा विभाग को भेजते थे। पर, इसके बाद पोषण मिशन-2 योजना के तहत केंद्र के निर्देश पर महिला एवं बाल विकास विभाग ने कार्यकर्त्ताओं को नया पोषण ट्रैकर मोबाइल एप डाउनलोड करने और इसी पर कार्य करने के निर्देश दिए। कार्यकर्त्ताओं का कहना है कि इस नए एप से सहूलियत होने के बजाए दिक्कत ज्यादा बढ़ गई है।
आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता और सेविका कर्मचारी यूनियन की प्रांतीय महामंत्री चित्रकला ने बताया कि नया एप हिंदी भाषा को सपोर्ट नहीं कर रहा है, जबकि पुराने एप पर सभी काम हिंदी में ही किए जाते थे। इस कारण समय और काम दोनों बढ़ गया है। विभागीय अधिकारियों को भी इस संबंध में अवगत किया जा चुका है।
उत्तरांचल आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ की जिलाध्यक्ष सुधा शर्मा ने बताया कि पोषण ट्रैकर मोबाइल एप विभाग द्वारा दिए गए मोबाइल पर इंसटाल नहीं हो पा रहा है। ऐसे में कार्यकर्त्ताओं द्वारा इसे अपने निजी मोबाइल से संचालित किया जा रहा है। इससे एप के साथ उनके स्वजनों की ओर से छेड़छाड़ का डर बना रहता है।
महिला एवं बाल विकास विभाग के निदेशक एसके सिंह ने बताया कि पोषण मिशन-2 योजना के तहत कार्यकर्त्ताओं को नए मोबाइल एप पोषण ट्रैकर पर कार्य करने के निर्देश दिए थे। इस एप से आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ताओं को किसी प्रकार की परेशानी न हो इसलिए इसलिए केंद्र की ओर से इस एप को लगातार अपडेट किया जा रहा है। आने वाले कुछ दिनों बाद कार्यकर्त्ताओं के सामने इस एप पर कार्य करने की समस्या नहीं आएगी।
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