उत्तराखंड में पुलिस कर्मियों के ग्रेड पे को लेकर सियासत शुरू
प्रदेश में पुलिस कर्मियों के ग्रेड पे को लेकर उनके स्वजन द्वारा शुरू किए गए आंदोलन पर सियासत शुरू हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि यदि सरकार पुलिस कर्मियों को कुछ दे नहीं सकती तो ले भी नहीं सकती।
राज्य ब्यूरो, देहरादून: प्रदेश में पुलिस कर्मियों के ग्रेड पे को लेकर उनके स्वजन द्वारा शुरू किए गए आंदोलन पर सियासत शुरू हो गई है। कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने आंदोलन का समर्थन किया है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि यदि सरकार पुलिस कर्मियों को कुछ दे नहीं सकती, तो ले भी नहीं सकती। वहीं, कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि स्वजन को इस मामले में गठित मंत्रिमंडल की उपसमिति की बैठक का इंतजार करना चाहिए।
प्रदेश में पुलिस कर्मियों के ग्रेड पे का मसला गरमाया हुआ है। दरअसल, छठे वेतनमान में पुलिस कर्मियों को पदोन्नति न मिलने की सूरत में समयबद्ध वेतनमान में 2400 ग्रेड पे के बाद 2800 ग्रेड पे देने की व्यवस्था की जा रही है। पूर्व में उन्हें पदोन्नति होने अथवा न होने की स्थिति में पदोन्नत होने वाले अगले पद का ग्रेड वेतन यानी 4600 रुपये मिलता था। इस नई व्यवस्था के लागू होने के बाद उन्हें बढ़े हुए ग्रेड पे का नुकसान हो रहा है। इसे लेकर पुलिस कर्मी नाखुश हैं। पुलिस मुख्यालय द्वारा यह मामला शासन व सरकार के समक्ष रखा गया। पुलिस कर्मियों के इस मसले पर संवेदनशीलता दिखाते हुए सरकार ने कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की उपसमिति का गठन किया है। यह समिति एक बैठक कर चुकी है।
इसमें समिति पुलिस कर्मियों के ग्रेड वेतन की मांगों पर सकारात्मक कार्यवाही का संकेत दे चुकी है। समिति की अगली बैठक 27 जुलाई को प्रस्तावित है। इस बीच पुलिस कर्मियों के स्वजन ने इस मामले में मोर्चा संभालते हुए आंदोलन शुरू कर दिया है। इसके तहत देहरादून व रुद्रपुर में पुलिस कर्मियों के स्वजन ने धरना प्रदर्शन किया। इसे कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों और कर्मचारी संगठनों ने भी अपना समर्थन दिया है। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने ट्वीट कर कहा कि वह ग्रेड पे के मसले पर पुलिस कर्मियों के साथ हैं। पुलिस एक अनुशासित बल है।
सत्तापक्ष को यह समझना होगा कि यदि पुलिस को कुछ दे नहीं सकते, तो उनसे कुछ लेना भी नहीं चाहिए। वह पुलिस कर्मियों की मांग को समझते हैं। उम्मीद है कि सरकार चेतेगी और सामयिक कदम उठाएगी। वहीं कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि पुलिस कर्मियों के स्वजन को उप समिति के निर्णय का इंतजार करना चाहिए। यदि वह सरकार के फैसले से सहमत नहीं होते तो किसी भी आंदोलन को स्वतंत्र हैं।
सरकार की रही आंदोलन पर नजर
पुलिस कर्मियों के स्वजन के आंदोलन ने शासन व सरकार की पेशानी पर बल डाले हुए हैं। पुलिस कर्मियों के स्वजन आंदोलन न करें, इसके लिए लगातार प्रयास चल रहे थे। रविवार सुबह जब पुलिस कर्मियों के स्वजन ने देहरादून व रुद्रपुर में जुटना शुरू किया तो शासन ने इनकी गतिविधियों पर नजर रखी और दोनों जगह से अपडेट लिया गया। इस दौरान शासन व पुलिस मुख्यालय एक-दूसरे के संपर्क में भी रहे।
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