प्रियतमा के इंतजार में पलास फिश ईगल

राजेश पंवार विकासनगर (देहरादून) देश के पहले कंजरवेशन रिजर्व एवं उत्तराखंड की पहली रामसर साइट आसन वेटलैंड में इस बार सिफ एक नर पलास फिश ईगल नजर आ रहा है। मादा के साथ में न होने की वजह से वह घंटों व्याकुल सा इधर-उधर चहलकदमी करता है उसने इस बाद अपना आशियाना भी नहीं बनाया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 14 Feb 2021 07:05 PM (IST) Updated:Sun, 14 Feb 2021 07:05 PM (IST)
प्रियतमा के इंतजार में पलास फिश ईगल
प्रियतमा के इंतजार में पलास फिश ईगल

राजेश पंवार, विकासनगर (देहरादून)

देश के पहले कंजरवेशन रिजर्व एवं उत्तराखंड की पहली रामसर साइट आसन वेटलैंड में इस बार सिर्फ एक नर पलास फिश ईगल नजर आ रहा है। मादा के साथ में न होने की वजह से वह घंटों व्याकुल-सा इधर-उधर चहलकदमी करता रहता है। इस बार अभी तक उसने सेमल के पेड़ पर आशियाना भी नहीं बनाया है और आसपास मौजूद पेड़ों पर ही वक्त गुजार रहा है। जबकि, बीते 50 वर्षो से हर साल पलास फिश ईगल का एक जोड़ा यहां पहुंचता रहा है।

यह पहला मौका है, जब नर पलास फिश ईगल काफी विलंब से आसन वेटलैंड पहुंचा। लेकिन, मादा का आगमन अभी भी नहीं हो पाया। ऐसे में अकेला नर बिना आशियाना बनाए एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर भटक रहा है। उसे देखकर लगता है, मानो वह प्रियतमा के इंतजार में व्याकुल है। चकराता वन प्रभाग की आसन रेंज की टीम उसकी हर गतिविधि पर नजर रखे हुए है। विदित हो कि साइबेरिया समेत अन्य देशों में ठंड का प्रकोप बढ़ने पर पक्षियों की अनेक प्रजाति हर साल प्रवास पर आसन वेटलैंड पहुंचती हैं। लेकिन, इनमें सबसे खास है पलाश फिश ईगल का जोड़ा, जो वर्ष 2019 तक आसन झील के सामने वनरक्षक प्रशिक्षण केंद्र के जंगल में सेमल के पेड़ पर आशियाना बनाकर रहता था। बीते वर्ष यह जोड़ा पुराने आशियाने में नहीं रहा और नया पेड़ तलाशने में भी उसे सफलता नहीं मिल पाई।

पक्षी प्रेमी आसन नदी के किनारे वाली सड़क पर वाहनों की आवाजाही बढ़ने को भी इसकी वजह मानते हैं। असल में दुर्लभ प्रजाति के पलाश फिश ईगल को मानवीय चहलकदमी से दूर शांत जगह पर सेमल का पेड़ ज्यादा रास आता है, ताकि उस पर आशियाना बनाकर प्रवास के दिन मजे में काटे जा सकें।

आसन रेंज के रेंजर राजेंद्र सिंह हिग्वाण व वन दारोगा प्रदीप सक्सेना बताते हैं कि सफेद सिर व पूंछ पर सफेद पट्टी होने के कारण आसानी से पहचाने जाने वाले पलाश फिश ईगल के जोड़े को देखने के लिए हर साल पक्षी प्रेमी बड़ी तादाद में यहां आते हैं। उन्हें नर पक्षी का उड़कर अचानक मछली पकड़ने का अंदाज बेहद भाता है। लेकिन, इस बार नर पलाश फिश ईगल अकेले ही यहां पहुंचा है और बेचैन-सा घूम रहा है। स्थिति यह है कि उसे खुद की भी सुध नहीं है।

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