उत्तराखंड में अब उन्नत किस्म की फल-पौध का होगा वितरण

औद्यानिकी को आर्थिकी का महत्वपूर्ण जरिया बनाने की कोशिशों में जुटी राज्य सरकार अब किसानों को परंपरागत किस्मों की फल पौध का वितरण बंद करने जा रही है।

By Edited By: Publish:Wed, 05 Aug 2020 08:07 PM (IST) Updated:Thu, 06 Aug 2020 11:42 AM (IST)
उत्तराखंड में अब उन्नत किस्म की फल-पौध का होगा वितरण
उत्तराखंड में अब उन्नत किस्म की फल-पौध का होगा वितरण

देहरादून, राज्य ब्यूरो। औद्यानिकी को आर्थिकी का महत्वपूर्ण जरिया बनाने की कोशिशों में जुटी राज्य सरकार अब किसानों को परंपरागत किस्मों की फल पौध का वितरण बंद करने जा रही है। इसके एवज में अधिक उत्पादन देने वाली उन्नत किस्म की फल पौध मुहैया कराई जाएगी। कृषि एवं उद्यान मंत्री सुबोध उनियाल ने इस संबंध में अध्ययन के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित करने के निर्देश उद्यान सचिव को दिए हैं। समिति में पंतनगर व भरसार विश्वविद्यालयों के साथ ही कृषि विज्ञान केंद्र के एक-एक विशेषज्ञ शामिल किए जाएंगे।

उत्तराखंड राज्य के गठन के बाद औद्यानिकी को आर्थिकी संवारने का अहम जरिया बनाने की बात तो हुई, मगर इसके लिए गंभीरता से पहल नहीं हो पाई। किसानों को आज भी फल-पौध की परंपरागत किस्मों का वितरण हो रहा है। ऐसे में उत्पादन में बढ़ोतरी नहीं हो पा रही है। लंबे इंतजार के बाद अब सरकार ने फलोत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाने की ठानी है। इसके साथ ही फल उत्पादों के विपणन की पुख्ता व्यवस्था भी की जा रही है।

इस सबके दृष्टिगत अब परंपरागत किस्मों से तौबा कर उन्नत किस्मों की फल पौध किसानों को मुहैया कराने का निश्चय किया गया है। कृषि एवं उद्यान मंत्री सुबोध उनियाल के अनुसार परंपरागत किस्मों की फल पौध वितरण के अपेक्षित नतीजे नहीं मिल पा रहे हैं। एक तो यह अधिक संख्या में लगानी होती हैं और प्रति पेड़ उत्पादन भी कम मिलता है। लिहाजा, सरकार इनका वितरण बंद करने जा रही है।

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कैबिनेट मंत्री उनियाल ने कहा कि उन्नत किस्म की फल पौध का जहां बेहतर प्रबंधन होता है, वहीं उत्पादन भी अधिक मिलता है। उन्होंने बताया कि परंपरागत की बजाए उन्नत किस्म की फल पौध प्रजातियों के वितरण के सिलसिले में अध्ययन को तीन सदस्यीय कमेटी गठित करने के निर्देश उद्यान सचिव को दिए गए हैं। पंतनगर व भरसार विवि और कृषि विज्ञान केंद्रों के विशेषज्ञों की यह समिति हर पहलू पर अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट देगी। वह यह भी सुनिश्चित करेगी कि राज्य के कौन से क्षेत्र में कौन-कौन सी उन्नत फल प्रजातियां बेहतर रहेंगी। फिर इसके आधार पर फल पौध का वितरण किया जाएगा।

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