ठीक होने पर भी मानसिक रोगियों को नहीं ले जा रहे स्वजन

30 बेड के राज्य मानसिक स्वास्थ्य संस्थान सेलाकुई में कई साल से भर्ती हैं 40 मरीज

By JagranEdited By: Publish:Sun, 16 May 2021 02:52 AM (IST) Updated:Sun, 16 May 2021 02:52 AM (IST)
ठीक होने पर भी मानसिक रोगियों को नहीं ले जा रहे स्वजन
ठीक होने पर भी मानसिक रोगियों को नहीं ले जा रहे स्वजन

- 30 बेड के राज्य मानसिक स्वास्थ्य संस्थान सेलाकुई में कई साल से भर्ती हैं 40 मरीज

- परिवार वालों ने इन मरीजों को मानसिक स्वास्थ्य संस्थान के भरोसे छोड़ा

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जागरण संवाददाता, विकासनगर: राज्य मानसिक स्वास्थ्य संस्थान सेलाकुई (देहरादून) में भर्ती मानसिक रोगियों को उनके स्वजन स्वस्थ हो जाने के बाद भी घर ले जाने को तैयार नहीं हैं। 30 बेड के इस अस्पताल में बीते कई साल से 40 मरीज भर्ती हैं, जिन्हें उनके परिवार वालों ने अस्पताल के भरोसे ही छोड़ दिया है। संस्थान के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सीपी त्रिपाठी की ओर से मीडिया को जारी पत्र में यह बात सामने आई।

सीएमएस ने कहा कि संस्थान को 50 के आसपास बेड और संसाधन सीएमओ स्तर उपलब्ध कराए जाने हैं। लेकिन, वर्तमान में यहां करीब 40 मरीज भर्ती हैं, जबकि अस्पताल की क्षमता 30 बेड की है। बताया कि काफी मरीजों की स्थिति अब सामान्य हो चुकी है, बावजूद इसके मरीजों को लेने उनके स्वजन नहीं आ रहे। देखा जाए तो स्वजन ने उन्हें अस्पताल के भरोसे छोड़ दिया है। कहा कि अस्पताल को आज भी बजट 30 बेड के हिसाब से ही उपलब्ध होता है, जबकि खर्च इससे कहीं ज्यादा है। स्थिति यह है कि वित्तीय वर्ष 2021-22 आते-आते संस्थान पर सवा करोड़ रुपये का कर्ज चढ़ चुका है।

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साझा किए अनुभव, चुनौतियां भी बताई

पत्र में अस्पताल के अनुभव व चुनौतियों को साझा करते हुए सीएमएसबताते हैं कि परगना मजिस्ट्रेट कालाढूंगी (नैनीताल) के आदेश के बाद एक महिला मरीज को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। महिला की काफी बिगड़ी मानसिक स्थिति के कारण उसे संभालना मुश्किल हो रहा था। वह वार्ड की सीमेंट की जालीयुक्त दीवार को तोड़कर बाहर निकल गई। वार्ड आया, वार्ड ब्वाय व नर्सिंग आफिसर को उसे जबरन पकड़कर इंजेक्शन देने पड़े। कहा कि कोविड लक्षणहीन इस महिला की आरटी-पीसीआर जांच में रिपोर्ट पाजिटिव आई। इसके बाद महिला ने दोबारा दीवार तोड़कर भागने की कोशिश की। वार्ड आया व अन्य साथियों ने जान जोखिम में डालकर उस पर काबू पाया। स्थिति का चिकित्सकीय रूप से विश्लेषण करें तो महिला वार्ड में कोरोना संक्रमण फैलाने का यह एक अतिसंभावित 'सोर्स आफ कोविड इंफेक्शन' प्रतीत होता है।

सीएमएस ने बताया कि इसी तरह एक संवासिनी बीते नौ-दस साल से संस्थान के अंत:रोगी विभाग में भर्ती है। पेट दर्द, दस्त व कमजोरी की शिकायत पर सीएचसी सहसपुर में उसकी कोरोना जांच कराई गई। रिपोर्ट पाजिटिव आने पर भी संवासिनी की नर्सिंग आफिसर व वार्ड आया ने कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए सेवा की। महिला की तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर चिकित्साधिकारी ने उप जिला चिकित्सालय प्रेमनगर से संपर्क किया। लेकिन, वहां न खाली बेड था, न मरीज को उपचार ही मिल पाया। इसलिए उसे वापस मानसिक स्वास्थ्य संस्थान लाना पड़ा। यहां चिकित्सकों ने कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए आइसोलेशन रूम तैयार कर आक्सीजन कंसंट्रेटर के सहारे उसे उपचार दिया। अन्य मरीजों के भी टेस्ट कराए गए तो एक और महिला पाजिटिव मिली।

बताया कि मानसिक चिकित्सालय के नान कोविड अस्पताल होने के कारण यहां कोविड मरीजों का पर्याप्त प्रबंधन करने की कोई व्यवस्था नहीं हैं। बावजूद इसके आकस्मिक स्थिति में अपने सारे संसाधन इकट्ठे कर पीपीई किट के सहारे तीनों कोविड मरीजों का समुचित उपचार किया गया। सुखद यह है कि वर्तमान में उनकी स्थिति में सुधार हो रहा है।

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