कृषि विधेयकों के खिलाफ आंदोलन छेड़ेगी कांग्रेस
प्रदेश काग्रेस कमेटी ने संसद में पारित किसानों व कृषि से संबंधित तीनों विधेयकों को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला।
राज्य ब्यूरो, देहरादून: प्रदेश काग्रेस कमेटी ने संसद में पारित किसानों व कृषि से संबंधित तीनों विधेयकों को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला। प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि तीनों विधेयक किसान की कमर तोड़ने वाले हैं। प्रदेश में भी इन विधेयकों के खिलाफ पार्टी व्यापक अभियान छेड़ेगी। पार्टी के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मुलाकात कर उक्त तीनों विधेयकों पर विरोध दर्ज कराया।
प्रदेश काग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में गुरुवार को पत्रकारों से मुखातिब प्रदेश काग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि लोकसभा व राज्यसभा में पारित उक्त विधेयक किसान विरोधी हैं। इसके खिलाफ देशभर में किसान और खेत मजदूर सड़कों पर हैं। विधेयकों को काला कानून करार देते हुए उन्होंने कहा कि इससे मोदी सरकार के सबका साथ सबका विकास का मुखौटा उतर गया है। खेत मजदूरों के शोषण, किसानों को मात देने और पूंजीपतियों के पोषण के लिए केंद्र ने यह कदम उठाया है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार बहुमत के बलबूते पर लगातार मनमाने फैसले लेती आई है। कोरोना महामारी में देश के करोड़ों प्रवासी मजदूर रोजगार छिनने की वजह से गांवों की ओर पलायन कर गए हैं। वे गुजर-बसर करने के लिए खेती-किसानी में रुचि दिखा रहे हैं। ऐसे में मोदी सरकार किसानों की सुध लेने के बजाय उनकी रोजी-रोटी छीन कर पूंजीपतियों को देने की साजिश रच रही है। विधेयकों के किसान विरोधी होने की वजह से ही केंद्र सरकार के घटक अकाली दल के मंत्री को इस्तीफा देना पड़ा। प्रीतम सिंह ने कहा कि कांग्रेस इन विधेयकों और मोदी सरकार के खिलाफ व्यापक आंदोलन छेड़ेगी।
एक दिनी सत्र और चर्चा नहीं कराने का किया विरोध
उधर कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के नेतृत्व में राजभवन में राज्यपाल बेबी रानी मौर्य से मुलाकात की। कृषि विधेयकों पर विरोध दर्ज कराने के साथ राज्यपाल ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन में सरकार की ओर से तीन दिनी विधानसभा सत्र को एक दिन करने और जनहित के मुद्दों को दरकिनार करने का आरोप सरकार पर लगाया गया। पार्टी ने कहा कि सरकार जरूरी मुद्दों पर चर्चा कराने से बची। कोरोना काल में पर्यटन व्यवसाय ठप होने बेरोजगारी बढ़ गई है। आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राहत के लिए कदम नहीं उठाए गए। किसानों का बकाया भुगतान नहीं करने, कानून व्यवस्था की बदहाली के साथ केदारनाथ धाम में मास्टर प्लान लागू करने का विरोध किया। प्रतिनिधिमंडल में विधायक मनोज रावत, आदेश चौहान, ममता राकेश भी शामिल थे।