जिला नियोजन कार्यक्रम में डेढ़ साल से प्रस्ताव शामिल न होने पर भड़के पंचायत प्रतिनिधि, जानिए क्या कहा

जिला नियोजन कार्यक्रम में डेढ़ साल से जनप्रतिनिधियों के प्रस्ताव शामिल नहीं हो रहे हैं। शुक्रवार को पंचायत प्रतिनिधियों ने सेंटर फार पब्लिक पालिसी एंड गुड गवर्नेंस के तहत आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में यह आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 01:10 PM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 01:10 PM (IST)
जिला नियोजन कार्यक्रम में डेढ़ साल से प्रस्ताव शामिल न होने पर भड़के पंचायत प्रतिनिधि, जानिए क्या कहा
जिला नियोजन कार्यक्रम में डेढ़ साल से प्रस्ताव शामिल न होने पर भड़के पंचायत प्रतिनिधि।

जागरण संवाददाता, देहरादून। जिला नियोजन कार्यक्रम में डेढ़ साल से जनप्रतिनिधियों के प्रस्ताव शामिल नहीं हो रहे हैं। शुक्रवार को पंचायत प्रतिनिधियों ने सेंटर फार पब्लिक पालिसी एंड गुड गवर्नेंस के तहत आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में यह आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया। उन्होंने जिला पंचायत के अधिकारियों से तत्काल उनके प्रस्ताव नियोजन कार्यक्रम में शामिल करने की मांग की।

जिला पंचायत सभागार में शुक्रवार को जिला पंचायत उपाध्यक्ष श्याम पुंडीर की अध्यक्षता में जिला पंचायत नियोजन समिति की बैठक हुई। जिसमें जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत और ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों को वर्ष 2022-23 के लिए त्रिस्तरीय पंचायतों के सतत विकास को माडल प्लान तैयार करने का प्रशिक्षण दिया गया। पुंडीर ने सभी विभागों के अधिकारियों को दो टूक कहा कि क्षेत्र में सरकार की किसी भी योजना के तहत कोई भी कार्य करने से पहले इसकी जानकारी जनप्रतिनिधियों को जरूर दें, ताकि वे क्षेत्र की प्राथमिकताओं को देखते हुए विकास कार्य करवा सकें। कहा कि जानकारी के अभाव में कई दफा क्षेत्र में ऐसे कार्य हो जाते हैं जो ज्यादा जरूरी नहीं होते हैं। प्रशिक्षण में सेंटर फार पब्लिक पालिसी एंड गुड गवर्नेंस (सीपीपीजीजी) के प्रतिनिधियों ने जनप्रतिनिधियों को जनता के विकास के लिए तय लक्ष्यों की जानकारी दी। सीपीपीजीजी की टीम के एसीईओ डा. मनोज कुमार पंत ने कहा कि जनप्रतिनिधियों को त्रिस्तरीय पंचायतों के सतत विकास के लिए माडल प्लान तैयार करने की जानकारी दी गई।

उन्होंने कहा कि संविधान की 11वीं अनुसूची के अंतर्गत त्रिस्तरीय पचायतों के लिए 29 विषयों के नियोजन, यथावत क्रियान्वयन तथा उनका बेहतर अनुश्रवण के लिए हर पंचायत को तैयार किया जाना है। प्रदेश में देहरादून और टिहरी दो जिलों में सरकार का यह अभियान बतौर पायलट प्रोजेक्ट चलेगा। इसके बाद पूरे प्रदेश में इसे लागू किया जाएगा। सतत विकास लक्ष्य विशेषज्ञ करूनकर सिंह, अजय कुमार और आपदा प्रबंधन विशेषज्ञ राजन कुमार ने माडल प्लान बनाते समय शिक्षा, स्वास्थ्य, लैंगिक समानता समेत 17 लक्ष्यों का विशेष ध्यान रखने को कहा। करूनकरन सिंह ने माडल प्लान तैयार करने को एवं पंचायतों के विकास को सुझाव देने की अपील भी की।

चुनिंदा समूहों को वित्तीय सहायता दिए जाने पर हंगामा

बैठक में चुनिंदा स्वयं सहायता समूहों को ही बार-बार सरकार से वित्तीय सहायता देने पर भी जिला पंचायत सदस्यों ने हंगामा किया। सदस्य पंचायत कुमार जैन ने कहा कि विभाग चुनिंदा महिला समूह को कई दफा वित्तीय सहायता दे चुका है, लेकिन कई महिला समूहों को यह सहायता कभी नहीं मिल पाती है। इस विसंगति को दूर करने के लिए सभी सदस्यों ने ध्वनिमत से प्रस्ताव पास किया। सदस्यों ने सरकारी योजना के तहत आर्थिक सहायता और योजनाओं के लाभ में वित्तीय सहायता की उच्चतम और न्यूनतम सीमा तय करने की मांग की।

उन्होंने कहा कि जो स्वयं सहायता समूह सरकारी सहायता लेकर विकास कार्यों को अमलीजामा पहनाने में उतने सक्षम नहीं है, चिह्नित कर उन पर विशेष ध्यान दिया जाए। अधिकारियों ने इसके लिए जल्द नियम तय करने का आश्वासन दिया। बैठक में अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला पंचायत राजीव कुमार त्रिपाटी, जिला विकास अधिकारी सुशील मोहन डोभाल ने भी अपने विचार रखे।

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