स्वदेशी तकनीक की मदद से रखेंगे सेटेलाइट से दुश्मन पर नजर, पढ़िए पूरी खबर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत की मुहिम के बीच अच्छी खबर यह है कि आने वाले समय में अपना देश इस दिशा में भी आत्मनिर्भर बन जाएगा। देहरादून स्थित ऑर्डनेंस फैक्ट्री ने स्वदेशी तकनीक पर आधारित ट्रैकिंग सिस्टम को विकसित करने का काम शुरू कर दिया है।
जागरण संवाददाता, देहरादून। सीमा पर अक्सर दुश्मन पर सीधे नजर रख पाना संभव नहीं हो पाता है। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए सेटेलाइट से निगरानी करना ही एकमात्र विकल्प होता है। इसके लिए अब तक भारतीय सेना विदेशी तकनीक पर आधारित सेटेलाइट ट्रैकिंग सिस्टम पर निर्भर है। हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत की मुहिम के बीच अच्छी खबर यह है कि आने वाले समय में अपना देश इस दिशा में भी आत्मनिर्भर बन जाएगा। देहरादून स्थित ऑर्डनेंस फैक्ट्री ने स्वदेशी तकनीक पर आधारित ट्रैकिंग सिस्टम को विकसित करने का काम शुरू कर दिया है।
ऑर्डनेंस फैक्ट्री के महाप्रबंधक पीके दीक्षित के मुताबिक डे विजन, नाइट विजन व लेजर तकनीक के मेल (कॉम्बिनेशन) के माध्यम से ट्रैकिंग सिस्टम बनाया जा रहा है। इसकी लागत करीब 50 लाख रुपये प्रति सिस्टम आएगी। वहीं, विदेशी तकनीक पर आधारित सिस्टम 40 गुना तक महंगा है। आने वाले कुछ माह में इसे तैयार कर दिया जाएगा। इसके बाद कुछ ट्रायल किए जाएंगे और फिर सिस्टम को सेना के सुपुर्द कर दिया जाएगा। इस तरह रखेंगे दुश्मन पर नजर सेटेलाइट के जरिये रात व दिन में समान रूप से दुश्मन के चित्र लिए जाएंगे। लेजर तकनीक से उसकी दूरी, स्पष्ट पहचान व मूवमेंट आदि की जानकारी जुटाई जाएगी। यह सिस्टम स्वत: ही उसे कंट्रोल सेंटर को भेज देगा, ताकि बिना समय गंवाए टारगेट को शूट किया जा सके।
यह उत्पाद भी अब स्वदेशी
टी-90 टैंक की दूरबीन भी अब ऑर्डनेंस फैक्ट्री में तैयार होगी। अब तक इसका 40 लाख रुपये में आयात किया जा रहा था। स्वदेशी तकनीक से इसकी लागत महज 13 लाख रुपये रह गई है। इसमें निशाना साधने के लिए प्रयुक्त लैंस भी दून की फैक्ट्री में बनेंगे
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