बेरोजगारी दूर करने में बैंक अटका रहे रोड़ा, जानें- कहां कितने आवेदन स्वीकृत; कितनों को मिला ऋण
लगातार बढ़ रही बेरोजगारी और कोरोना काल के दौरान घर लौटे युवा सरकार की चिंता का सबब बन रहे हैं। पूरे देश में बेरोजगारी की दर उत्तराखंड में सबसे अधिक होने का सर्वे भी भविष्य की चुनौतियों की ओर इशारा कर रहा है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। उत्तराखंड में लगातार बढ़ रही बेरोजगारी और कोरोना काल के दौरान घर लौटे युवा सरकार की चिंता का सबब बन रहे हैं। पूरे देश में बेरोजगारी की दर उत्तराखंड में सबसे अधिक होने का सर्वे भी भविष्य की चुनौतियों की ओर इशारा कर रहा है। इन सबके बीच प्रदेश सरकार बेरोजगारी दूर करने की कवायद में जुटी हुई है, लेेेेकिन बैंक इसमें अब रोड़ा अटका रहे हैं। स्थिति यह है कि मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत शासन स्तर पर गठित समिति 4497 व्यक्तियों के प्रस्तावों को मंजूरी दे चुकी है, लेकिन बैकों ने इसके सापेक्ष अभी तक केवल 287 लोगों को ही ऋण दिया है।
लॉकडाउन के बाद प्रदेश में लगभग तीन लाख से अधिक व्यक्ति अपने गांवों को वापस लौटे हैं। अनलॉक के बाद इनमें से कई अपने रोजगार पर वापस लौट गए हैं तो कई अब अपने शहर व गांवों में ही रोजगार शुरू करना चाहते हैं। ऐसे लोगों को रोजगार देने के लिए मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना शुरू की गई है। इस योजना के तहत तहत कुशल और अकुशल दस्तकारों, हस्तशिल्पियों और बेरोजगार युवाओं को अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। योजना के तहत राष्ट्रीयकृत बैंकों, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और सहकारी बैंकों के माध्यम से लाभार्थियों को ऋण सुविधा उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है।
योजना का लगातार प्रचार और प्रसार किया जा रहा है। इसके लिए योजना की वेबसाइट पर लगातार आवेदन आ रहे हैं। इन आवेदनों की स्क्रीनिंग के लिए एक समिति का गठन किया गया है, जो प्रस्तावों का अध्ययन कर इन्हें स्वीकृत या अस्वीकृत कर रही है। समिति के द्वारा स्वीकृत प्रस्ताव बैंकों को भेजे जा रहे हैं। समिति की ओर से बैंकों में भेजे गए प्रस्तावों में में से बैंक 412 प्रस्ताव वापस भेज चुके हैं और 854 को निरस्त किया गया है। बैंकों ने केवल 1420 प्रस्ताव स्वीकृत किए हैं, लेकिन इनमें से केवल 265 को ही ऋण दिया है।
इस संबंध में मुख्यमंत्री कार्यालय में गठित स्वरोजगार योजनाओं के लिए समन्वय समिति के अध्यक्ष डॉ. एसएस नेगी का कहना है कि पलायन रोकने में बैंकों की सबसे बड़ी भूमिका है। जब तक बैंक आगे नहीं आएंगे तब तक स्वरोजगार परक योजनाओं की सफलता सुनिश्चित नहीं मानी जा सकती। समिति ने सरकार को सुझाव दिया है कि मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना को परवान चढ़ाने के लिए बैंकों से समन्वय स्थापित किया जाए।
इन जिलों में इतने आवेदन हुए स्वीकृत, इतने मिले ऋण
जिला-प्रस्ताव-ऋण मिला
अल्मोड़ा-300-07
बागेश्वर- 271-17
चंपावत- 280-27
चमोली- 329-25
देहरादून-376-08
हरिद्वार-270-02
नैनीताल-328-28
पौड़ी-336-36
पिथौरागढ़-304-38
रुद्रप्रयाग-226-15
टिहरी-446-10
यूएस नगर-381-12
उत्तरकाशी-650-40
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