Online Education: बच्चों को चिड़चिड़ा बना रहा ऑनलाइन कक्षा का बोझ, ऐसे रखें उनका ध्यान

कोरोना महामारी के कारण करीब छह माह से सभी निजी और सरकारी स्कूल बंद हैं। बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो इसके लिए ऑनलाइन कक्षाएं शुरू की गई हैं लेकिन शुरुआत में जो ऑनलाइन कक्षाएं मजेदार लग रही थीं अब उनके नकारात्मक प्रभाव सामने आने लगे हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Sat, 26 Sep 2020 04:01 PM (IST) Updated:Sat, 26 Sep 2020 11:28 PM (IST)
Online Education: बच्चों को चिड़चिड़ा बना रहा ऑनलाइन कक्षा का बोझ, ऐसे रखें उनका ध्यान
बच्चों का चिड़चिड़ा बना रहा ऑनलाइन कक्षा का बोझ।

देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड में भी कोरोना महामारी के कारण करीब छह माह से सभी निजी और सरकारी स्कूल बंद हैं। बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो, इसके लिए ऑनलाइन कक्षाएं शुरू की गई हैं, लेकिन शुरुआत में जो ऑनलाइन कक्षाएं मजेदार लग रही थीं, अब उनके नकारात्मक प्रभाव सामने आने लगे हैं। दिन के कई घंटे ऑनलाइन कक्षा में बिताने और इस दौरान आ रही समस्याओं के कारण खासकर कम उम्र के बच्चों में चिड़चिड़ापन और मानसिक तनाव देखने को मिल रहा है। इस कारण उनके व्यवहार में भी दिनोंदिन बदलाव आ रहा है। दून के मनोचिकित्सकों के पास रोजाना कई अभिभावक यह समस्या लेकर पहुंच रहे हैं।

केस-1

कविता का बेटा सहस्रधारा स्थित एक प्रतिष्ठित स्कूल में पांचवीं कक्षा का छात्र है। कविता बताती हैैं कि उनका बेटा पढ़ाई में शुरू से होनहार है। लेकिन, जब से ऑनलाइन कक्षाएं शुरू हुई हैैं, उसका व्यवहार बदलता जा रहा है। इन दिनों वह काफी चिड़चिड़ा हो गया है। हर वक्त बेचैन रहता है। छोटी-छोटी बात पर गुस्सा करने लगता है। दिन के कई घंटे ऑनलाइन पढ़ाई में बिताने के कारण बीते दिनों उसकी आंखों में जलन होने लगी। डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने मोबाइल स्क्रीन पर कम से कम समय बिताने की सलाह दी।

केस-2

एक अन्य अभिभावक ने बताया कि उनका बेटा डालनवाला स्थित एक बड़े स्कूल में चौथी कक्षा में पढ़ता है। उनका कहना है कि छोटी कक्षाओं के बच्चों को भी दिन में औसतन चार घंटे मोबाइल पर पढ़ाई में व्यस्त रखा जा रहा है। इससे उनका बेटा चिड़चिड़ा हो गया है। ठीक से खाना भी नहीं खाता। लगातार मोबाइल पर काम करने से उसकी आंखों को भी नुकसान पहुंच रहा है।

न्यूरो साइकोलॉजिस्ट और काउंसलर(सीबीएसई) सोना कौशल ने कहा, ऑनलाइन क्लास से छोटे बच्चों में चिड़चिड़ापन और तनाव की शिकायत बढ़ती जा रही है। औसतन 10 अभिभावक रोजाना इस संबंध में फोन करके समाधान पूछते हैं। सभी से यही कहती हूं कि इन हालात में धैर्य के साथ काम लेने की जरूरत है। स्कूलों को भी हर उम्र के बच्चों के लिए अलग-अलग समय निर्धारित करना चाहिए। इस बात का खासतौर पर ध्यान रखना चाहिए कि आठवीं से नीचे की कक्षाओं में पढ़ रहे बच्चों पर अतिरिक्त बोझ न पड़े।

ऑनलाइन पढ़ाई के लिए यह हैं केंद्र सरकार के सुझाव

केंद्र सरकार ने प्री-प्राइमरी के बच्चों के लिए ऑनलाइन क्लास पर पूरी तरह प्रतिबंध का सुझाव दिया है। वहीं, कक्षा एक से आठ तक के बच्चों के लिए दिन में अधिकतम दो क्लास लेने का सुझाव दिया, जिनमें से प्रत्येक 30 से 45 मिनट की होगी। इसके अलावा बच्चों को ऑनलाइन कक्षाओं की रिकॉर्डिंग उपलब्ध कराने के लिए कहा गया, जिससे वह अपनी सुविधा अनुसार पढ़ाई कर सकें, लेकिन ज्यादातर स्कूल इन सुझावों को न मानते हुए पांच से छह घंटे की ऑनलाइन क्लास लगा रहे हैं। रात तक होमवर्क देने के मामले भी सामने आए हैं।

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ऐसे रखें बच्चों का ध्यान बच्चों के व्यवहार और मानसिक स्थिति में होने वाले बदलाव पर नजर रखें। तनाव का कारण समझें। उन्हें सहानुभूतिपूर्वक समझाएं। बच्चों की काउंसलिंग करें, जो बातें उन्हें समझ न आएं, उन्हें शिक्षक से बात कर समझाने का प्रयास करें। स्कूल छोटी उम्र के बच्चों पर पढ़ाई का बोझ कम करें। दो कक्षाओं के बीच अंतराल रखें। बच्चों की समस्या को टालें नहीं। उनपर चर्चा करके सुलझाएं।

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