उत्तराखंड: गंगा ग्रामों में जैविक खेती से लाभान्वित होंगे सवा लाख किसान, जानिए क्या है पूरी योजना

उत्तराखंड में गंगा की स्वच्छता एवं निर्मलता के लिए चल रही नमामि गंगे परियोजना के तहत स्वच्छता एक्शन प्लान-नमामि गंगे क्लीन अभियान में सात जिलों में गंगा से सटे गांवों में 50 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Sat, 19 Jun 2021 11:20 AM (IST) Updated:Sat, 19 Jun 2021 01:31 PM (IST)
उत्तराखंड: गंगा ग्रामों में जैविक खेती से लाभान्वित होंगे सवा लाख किसान, जानिए क्या है पूरी योजना
गंगा ग्रामों में जैविक खेती से लाभान्वित होंगे सवा लाख किसान।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड में गंगा की स्वच्छता एवं निर्मलता के लिए चल रही नमामि गंगे परियोजना के तहत 'स्वच्छता एक्शन प्लान-नमामि गंगे क्लीन अभियान' में सात जिलों में गंगा से सटे गांवों में 50 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। अभियान से करीब सवा लाख किसानों को लाभान्वित करने की योजना है। इस पहल से गांवों में जैविक खेती को बढ़ावा मिलने से किसानों की आय में बढ़ोतरी तो होगी ही, खेती में उपयोग किए जाने वाले रासायनिक उर्वरकों से युक्त मिट्टी गंगा में जाने से बच सकेगी। यानी, आर्थिकी सुधरेगी और पारिस्थितिकी भी दुरुस्त रहेगी।

प्रदेश में 'स्वच्छता एक्शन प्लान-नमामि गंगे क्लीन अभियान' वर्ष 2017-18 से चल रहा है। आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक गंगा बेसिन पर बसे पांच जिलों चमोली (220 हेक्टेयर), उत्तरकाशी (300 हेक्टेयर), पौड़ी (80 हेक्टेयर) रुद्रप्रयाग (120 हेक्टेयर) और टिहरी (120 हेक्टेयर) में चयनित 42 ग्राम पंचायतों में परंपरागत कृषि विकास योजना की गाइडलाइन के अनुसार जैविक खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इन चयनित ग्राम ग्रामों को एक कलस्टर के रूप में विकसित किया जा रहा है। कुल आच्छादित 840 हेक्टेयर क्षेत्रफल में लगभग 2100 किसान जैविक खेती से जुड़े हैं।

योजना का मकसद क्लस्टर एप्रोच के आधार पर गंगा बेसिन पर बसे गांवों में पीजीएस सर्टिफिकेशन के तहत जैविक कृषि को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इससे कृषि में प्रयोग किये जाने वाले रसायनों से होने वाले जल प्रदूषण से गंगा नदी के जल को प्रदूषित होने से रोकने में मदद मिली है। अब इस योजना के द्वितीय चरण में 50 हजार हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्रफल में इस योजना को क्रियान्वित करने की मंजूरी मिली है। इसमें हरिद्वार जिले के 10000 हेक्टेयर, टिहरी के 20000 हेक्टेयर, चमोली के 5000 हेक्टेयर, उत्तरकाशी के 5000 हेक्टेयर, रुद्रप्रयाग के 5000 हेक्टेयर, पौड़ी के 5000 हेक्टेयर के अलावा देहरादून का 500 हेक्टेयर क्षेत्र भी प्रस्तावित है।

यहां करीब 125000 कृषकों को लाभान्वित किया जाएगा। इन क्षेत्रों में उत्पादित जैविक कृषि उत्पादों का विपणन परंपरागत कृषि विकास योजना की नई गाइडलाइन के अनुसार होगा। जैविक कृषि के साथ ही औद्यानिकी, सूक्ष्म सिंचाई और कृषि वानिकी से संबंधित कार्यों को भी योजना में शामिल किया गया है, ताकि फसलों के उत्पादन एवं उत्पादकता में बढ़ोतरी हो सके।

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