अब मगरमच्छ, ऊदबिलाव और कछुओं पर लगेंगे 'टैग', जानिए क्या है योजना

जलीय जीवों विशेषकर मगरमच्छ ऊदबिलाव व कछुओं के व्यवहार में कहीं कोई बदलाव तो नहीं आ रहा इसे लेकर जल्द ही तस्वीर साफ होगी। वन महकमा इन तीनों जलीय जीवों पर सैटेलाइट मानीटर्ड टैग लगाने की तैयारी कर रहा है।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Thu, 06 May 2021 06:45 AM (IST) Updated:Thu, 06 May 2021 06:45 AM (IST)
अब मगरमच्छ, ऊदबिलाव और कछुओं पर लगेंगे 'टैग', जानिए क्या है योजना
अब मगरमच्छ, ऊदबिलाव और कछुओं पर लगेंगे 'टैग', जानिए क्या है योजना।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। जलीय जीवों, विशेषकर मगरमच्छ, ऊदबिलाव व कछुओं के व्यवहार में कहीं कोई बदलाव तो नहीं आ रहा, इसे लेकर जल्द ही तस्वीर साफ होगी। वन महकमा इन तीनों जलीय जीवों पर सैटेलाइट मानीटर्ड टैग लगाने की तैयारी कर रहा है। राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग के अनुसार प्रथम चरण में 60 टैग लगाए जाएंगे। इसके लिए अगले सप्ताह वनकर्मियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। 

कोरोना के मद्देनजर परिस्थितियां थोड़ी सामान्य होने पर टैग लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।वन महकमा वर्तमान में बाघ, हाथी व गुलदारों पर रेडियो कालर लगाकर इनके व्यवहार में आए बदलाव का अध्ययन करने में जुटा है। इस कड़ी में अब जलीय जीवों का भी अध्ययन कराने की कसरत की जा रही है। मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग ने बताया कि प्रथम चरण में मगरमच्छ, ऊदबिलाव व कछुओं के व्यवहार के अध्ययन के लिए सैटेलाइट मानीटर्ड टैग मंगाए गए हैं। इन्हें लगाने के सिलसिले में स्थल भी चिह्नित कर लिए गए हैं।

उन्होंने बताया कि लक्सर, हरिद्वार, झिलमिल झील और कार्बेट नेशनल पार्क से लगे क्षेत्र में 20 मगरमच्छों पर टैग लगाए जांएगे। इसी तरह रामगंगा नदी के कार्बेट नेशनल पार्क के क्षेत्र में 20 ऊदबिलाव और नानक सागर, बोर, तुमड़िया व भीमगौड़ा जलाशयों में 20 कछुओं पर टैग लगाने का निश्चय किया गया है। कोशिश यह है कि बरसात शुरू होने से पहले यह कार्य पूर्ण करा दिया जाए।

सैटेलाइट मानीटर्ड टैग

यह एक प्रकार की बटननुमा इलेक्ट्रानिक चिप है। मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक के मुताबिक मगरमच्छ की पीठ, ऊदबिलाव के कान और कछुए के पैर में इसे फिट किया जाता है। फिर सैटेलाइट के जरिये जलीय जीव के मूवमेंट की लगातार जानकारी मिलती रहती है। इससे यह पता चल सकेगा कि ये जलीय जीव रोजाना कितनी दूरी तय करते हैं, आबादी वाले क्षेत्रों के नजदीक कब-कब आते हैं। लगातार नजर रखकर यह भी देखा जाएगा कि संबंधित क्षेत्र में इनके लिए फूडचेन में कोई दिक्कत तो नहीं है। उन्होंने बताया कि ऐसे तमाम बिंदुओं की जानकारी मिलने के बाद इस दिशा में प्रभावी कदम उठाए जाएंगे।

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