दून के प्रमुख अस्पतालों में अब शुरू हुई इंटर फैसिलिटी ट्रांसफर सुविधा

स्वास्थ्य सचिव नितेश झा ने प्रथम चरण में सात आइएफटी एंबुलेंस तैनात करने के निर्देश दिए हैं। अन्य वाहनों को भी ऋषिकेश, विकासनगर व दून अस्पताल में तैनात कर दिया जाएगा।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Wed, 21 Nov 2018 09:49 AM (IST) Updated:Thu, 22 Nov 2018 08:13 AM (IST)
दून के प्रमुख अस्पतालों में अब शुरू हुई इंटर फैसिलिटी ट्रांसफर सुविधा
दून के प्रमुख अस्पतालों में अब शुरू हुई इंटर फैसिलिटी ट्रांसफर सुविधा

देहरादून, जेएनएन। दून के प्रमुख सरकारी अस्पतालों में अब ‘इंटर फैसिलिटी ट्रांसफर’ सुविधा शुरू कर दी गई है। जीवीके ईएमआरआइ ने दून मेडिकल कॉलेज, गांधी चिकित्सालय व प्रेमनगर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर तीन एंबुलेंस तैनात की हैं। बता दें कि स्वास्थ्य सचिव नितेश झा ने प्रथम चरण में सात आइएफटी एंबुलेंस तैनात करने के निर्देश दिए हैं। अगले दो-तीन दिन में अन्य वाहनों को भी ऋषिकेश, विकासनगर व दून अस्पताल में तैनात कर दिया जाएगा।

जीवीके ईएमआरआइ के राज्य प्रभारी मनीष टिंकू ने बताया कि आपातकालीन सेवा 108 का मुख्य उद्देश्य आपात स्थिति के दौरान पीड़ित व्यक्ति को समुचित प्राथमिक उपचार देते हुए नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाना होता है। कई बार उक्त स्वास्थ्य केंद्र पर मरीज को उसकी आवश्यकतानुसार इलाज नहीं मिलता। ऐसे में उसे अन्य अस्पताल के लिए रेफर कर दिया जाता है। अब तक देहरादून शहर में उपलब्ध 108 सेवा की एंबुलेंस द्वारा ही आवश्यकता के समय मरीजों को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल आइएफटी सुविधा प्रदान की जाती है। पर अब इन अतिरिक्त आइएफटी वाहनों के तैनात होने के बाद अब सभी रेफरल मरीजों को इन्हीं वाहनों के माध्यम से ही अन्य अस्पताल शिफ्ट किया जाएगा। इन आइएफटी वाहनों का उपयोग केवल रेफरल केस में ही किया जाएगा। बता दें कि स्वास्थ्य सचिव ने अपने हालिया निरीक्षण में पाया था कि दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में आने वाले मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। जिस कारण अस्पताल पर अनावश्यक दबाव बढ़ रहा है और मरीजों व तीमारदारों को कई तरह की दिक्कतें उठानी पड़ रही हैं। जबकि इसके विपरीत देहरादून के अन्य अस्पतालों में इलाज की समुचित व्यवस्था होने के बाद भी मरीज नहीं पहुंच रहे। इस स्थिति से निपटने के लिए भी स्वास्थ्य सचिव ने ‘इंटर फैसिलिटी ट्रांसफर’ शुरू करने के निर्देश दिए थे। ताकि इनकी मदद से मरीजों को आवश्यकतानुसार उचित इलाज के लिए अन्य अस्पताल पहुंचाया जा सके।

दुन अस्‍पताल में मरीजों को मिलने के लिए पास जरूरी

जागरण संवाददाता, देहरादून: दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय की सेवाओं में सुधार के लिए स्वास्थ्य सचिव के दिए गए निर्देश अब धरातल पर उतरते दिख रहे हैं। बुधवार से मरीजों से मिलने के लिए प्रवेश पत्र अनिवार्य हो जाएगा। प्रवेश पत्र के आधार पर ही तीमारदार/विजिटर मरीजों से मिल सकेंगे। केवल गंभीर मरीजों के साथ एक तीमारदार को रहने की अनुमति होगी।

मंगलवार को अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा ने अधिकारियों, सिस्टर इंचार्ज, मेट्रन के साथ बैठक की। उन्हें निर्देश दिए कि मरीजों के साथ आत्मीयतापूर्ण व्यवहार अपनाया जाए। अशिष्ट व्यवहार को किसी भी दशा में स्वीकार नहीं किया जाएगा। अशिष्ट व अमर्यादित व्यवहार के दोषी स्टाफ के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। डॉ. टम्टा ने चिकित्सालय के सभी स्टाफ को निर्देश दिए कि वह गले में परिचय पत्र टांगकर ही ड्यूटी करें। जिस किसी के पास परिचय पत्र नहीं है वह अस्पताल प्रशासन को बता दे। उन्होंने बताया कि दून चिकित्सालय में सभी कर्मचारियों के लिए यूनिफॉर्म अनिवार्य कर दी गई है। बिना यूनिफॉर्म कोई भी कर्मचारी ड्यूटी पर नहीं माना जाएगा। मरीज को मिलने के लिए अब प्रवेश पत्र आवश्यक हो गया है। यह प्रवेश पत्र सुबह दस से 11 व शाम चार से 5 बजे के दौरान ही मान्य होगा।

साफ सफाई को लेकर जवाबदेही तय

अस्पताल में स्वच्छता बनाए रखने के लिए भी अब आवश्यक कदम उठाए जाने लगे हैं। चिकित्सा अधीक्षक ने इसे लेकर स्टाफ की जवाबदेही तय कर दी है। उन्होंने स्टाफ को हिदायत दी कि संबंधित कार्यस्थल पर स्वच्छता व साफ सफाई की पूरी जिम्मेदारी उनकी होगी।

खाने की अब होगी नियमित मॉनिटरिंग

चिकित्सा अधीक्षक डॉ. टम्टा ने बताया कि अब मरीजों को मिलने वाले भोजन का परीक्षण एवं निगरानी ड्यूटी पर तैनात सिस्टर इंचार्ज अथवा मेट्रन करेंगी। उन्होंने बताया कि पहले मरीजों से खाने के बर्तन स्वयं लाने के लिए कहा जाता था, लेकिन संबंधित ठेकेदार को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि वह खाने के बर्तन आदि मरीजों से न मंगाएं, बल्कि इन्हें चिकित्सालय के स्तर पर उपलब्ध कराया जाए। इसके अलावा प्रत्येक मरीज को 25 ग्राम मक्खन, फल, सब्जी, दाल आदि निर्धारित मेन्यू के अनुसार उपलब्ध होगी।

दून में अब नहीं होगी अल्‍ट्रासाउंड में दिक्‍कत

दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में अब अल्ट्रासाउंड कराने में दिक्कत नहीं होगी। अस्पताल को एक रेडियोलॉजिस्ट और मिल गया है। अभी तक अस्पताल केवल एक रेडियोलॉजिस्ट के भरोसे चल रहा था। उनके छुट्टी चले जाने पर अन्य अस्पताल से रेडियोलॉजिस्ट उधार मांगकर काम चलाना पड़ रहा था।

दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में शहर ही नहीं बल्कि प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों से भी मरीज इलाज के लिए आते हैं। प्रतिदिन सत्तर से अधिक अल्ट्रासाउंड यहां होते हैं। अस्पताल को करीब तीन रेडियोलॉजिस्ट की जरूरत है, लेकिन अभी तक मात्र एक रेडियोलॉजिस्ट तैनात था। जिनके छुट्टी चले जाने से जब-तब व्यवस्था चरमरा जाती थी। इस कारण मरीजों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। ऐसे में अब एक और रेडियोलॉजिस्ट की व्यवस्था हो जाने से मरीजों को राहत मिलने जा रही है। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा ने बताया कि रेडियोलॉजी विभाग में एक और चिकित्सक की तैनाती कर दी गई है। जिसके बाद अब रेडियोलॉजी से संबंधित सेवाओं में राहत के साथ ही तेजी से मरीजों को उपचार मिल सकेगा।

दून अस्पताल को मिले आठ चिकित्सक

स्वास्थ्य विभाग ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के निर्देश पर दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में आठ चिकित्सकों की तैनाती कर दी है। इनमें दो स्त्री रोग विशेषज्ञ भी शामिल हैं। इन चिकित्सकों के मिलने से काफी राहत मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।

प्रदेश के प्रमुख सरकारी अस्पतालों में शुमार दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में न केवल शहर बल्कि प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों से भी मरीज इलाज के लिए आते हैं। लेकिन यहां तमाम स्तर पर अव्यवस्थाएं हावी हैं। उस पर डॉक्टर व स्टाफ की भी भारी कमी है। खासकर महिला अस्पताल की स्थिति बहुत खराब है। यहां जितने मरीज पहुंचते हैं उस अनुपात में न डॉक्टर हैं और न स्टाफ। पर अब सरकार ने अस्पताल के हालात सुधारने का मन बना लिया है। इसके तहत न केवल व्यवस्थाओं में बदलाव किया जा रहा है बल्कि डॉक्टरों की भी तैनाती की जा रही है। शुरुआती तौर पर यहां आठ चिकित्सक तैनात किए गए हैं। जिनमें दो स्त्री रोग विशेषज्ञ शामिल हैं।

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